लखनऊ में न‍िजी अस्पताल के चक्रव्यूह में फंसकर बेचनी पड़ी जमीन, अब घर पर इलाज करने को व‍िवश

अस्पताल में भर्ती होते ही संचालक ने जमा कराए एक लाख रुपये। आक्सीजन की कमी के नाम पर भी ऐंठे पांच लाख। जब सारे जतन बेकार गए तो भाई को बचाने के लिए अनिल को अपनी जमीन का सौदा करना पड़ा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 01:17 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 01:10 PM (IST)
लखनऊ में न‍िजी अस्पताल के चक्रव्यूह में फंसकर बेचनी पड़ी जमीन, अब घर पर इलाज करने को व‍िवश
अब अनिल दिल्ली से एक लाख में आक्सीजन कंसनट्रेटर मशीन लाए, ताकि घर पर ही भाई की देखभाल हो सके।

लखनऊ, [विनय तिवारी]। कोरोना के कहर में जहां मानवीय रिश्ते तार-तार हो रहे हैं, वहीं कई ऐसे भी हैं जो सब कुछ दांव पर लगाकर अपनों की सांसों की डोर को टूटने नहीं दे रहे हैं। आशियाना के अनिल उन लोगों में हैं जो जमीन जायजाद से अधिक रिश्तों की अहमियत रखते हैं।

निजी अस्पताल के चक्रव्यूह में फंसकर अनिल ने अपने भाई के इलाज के लिए अपना सब कुछ बेच दिया। इस उम्मीद में कि भाई रहेगा तो यह सब फिर हो जाएगा। आज जब रिश्ते पैसों की चमक धमक में अपना वजूद खो रहे हैं, ऐसे में अनिल और प्रकाश का आपसी प्रेम कोरोना के खौफ में बेहद सुकून देने वाला है। अनिल ने अपने बीमार भाई प्रकाश (43) को 14 अप्रैल को गोमती नगर स्थित मेट्रो सिटी हॉस्पिटल में दाखिल किया था। जाते ही अस्पताल संचालक ने एक लाख रुपये जमा करने की बात कही। किसी तरह अनिल ने पैसे जमा कराए। इलाज शरू होते ही पैसे की मांग होने लगी। जब सारे जतन बेकार गए तो भाई को बचाने के लिए अनिल को अपनी जमीन का सौदा करना पड़ा।

अनिल ने बताया कि आक्सीजन की कमी के नाम पर एक-एक लाख करके 25 अप्रैल तक 5 लाख रुपये जमा करा लिया गए, जिसका अस्पताल वालों ने बिल तक नहीं दिया। इसके बाद भी प्रकाश की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ तो वे 25 अप्रैल को प्रकाश को डिस्चार्ज कराके घर ले आए। पैसों की किल्लत होने पर भी इतना खर्च होने के बाद आखिरकार अनिल दिल्ली से एक लाख में आक्सीजन कंसनट्रेटर मशीन लाए, ताकि घर पर ही प्रकाश की देखभाल हो सके। 

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