Flood Situation in UP: लखीमपुर की सुहेली नदी का बंधा कटा, आबादी की ओर तेजी से बढ़ रहा पानी

लखीमपुर में पलिया के बुद्धापुरवा पर्वतिया घाट के पास सुहेली से बचाव के लिए ग्रामीणों द्वारा बनाया गया बंधा रविवार सुबह कट गया। बंधा अपने से सुहेली नदी का पानी तेजी से मझगईं इलाके के गांवों की ओर बढ़ रहा है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 01:13 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 01:13 PM (IST)
Flood Situation in UP: लखीमपुर की सुहेली नदी का बंधा कटा, आबादी की ओर तेजी से बढ़ रहा पानी
लखीमपुर में सुहेली नदी का पानी तेजी से मझगईं इलाके के गांवों की ओर बढ़ रहा है।

लखीमपुर, जागरण संवाददाता। पलिया के बुद्धापुरवा पर्वतिया घाट के पास सुहेली से बचाव के लिए ग्रामीणों द्वारा बनाया गया बंधा रविवार सुबह कट गया। बंधा अपने से सुहेली नदी का पानी तेजी से मझगईं इलाके के गांवों की ओर बढ़ रहा है। ग्राम प्रधान मलिनियां राजदीप उर्फ रिंकू सिंह के नेतृत्व में ग्रामीण बंधे को दोबारा से बांधने में लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सुहेली बैराज का फाटक न खुलवाने के कारण बंधा कटा है।

उधर तिकुनिया के ग्राम गंगानगर में मोहाना नदी ने भीषण कटान शुरू कर दिया है। मोहाना नदी की कटान से किसानों के चेहरे मुरझाए हैं। पुरविया बस्ती में भी धीमा कटान जारी है। ग्राम इंद्रनगर में भी भूमि कटान से हड़कंप का माहौल है। कई गांवों में एक साथ हो रहे भूमि कटान के बावजूद सिंचाई महकमा बचाव कार्य शुरू करने की बजाय मूकदर्शक बना हुआ है।

फूलबेहड़ इलाके में भी शारदा नदी की कटान से दर्जनों परिवार बेघर हो गए हैं। सिर छुपाने के लिए भी जगह नही बची है। सड़कों के किनारे जिंदगी जीने को मजबूर लोगों की प्रशासन भी अनदेखी कर रहा है। कटान पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की गई थी, वह भी 20 दिन पहले। शनिवार को अहिराना गांव में रामजीत व दीनानाथ के पक्के मकान नदी में समा गए। इससे पहले भी करीब 45 पक्के व कच्चे घर नदी में बह गए हैं। जिनके घर अभी बचे हैं उनको चिंता सता रही है कि कहीं उनका घर भी नदी की भेंट न चढ़ जाए। प्रशासन के दावे यहां हवा हवाई साबित हो रहे हैं। क्षेत्र का अहिराना गांव मिटने की कगार पर है। ग्रामीण बताते हैं कि बाढ़ आने के समय उन लोगों ने अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गांव की समस्या बताई थी। कटान की गंभीर समस्या पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया, जिसका नतीजा है गांव मिटने की कगार पर है। रोजाना किसी न किसी का घर नदी में समा रहा है। ग्रामीणों की माने तो इस गांव में कुछ ही घर बचे हैं‌ आधे से ज्यादा गांव का नदी ने सफाया कर दिया है। फिर भी कटान नहीं रुक रहा है, जिससे बचे हुए घरों को खतरा बना हुआ है। घरों के साथ साथ गन्ने की फसले भी नदी में समाती जा रही है।

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