रायबरेली जेल के लड्डू बढ़ाएंगे दीपावली में जायका, अफसरों ने ल‍िया प्रश‍िक्षण के दौरान बने पंजीरी व लड्डू का स्‍वाद

पंजीकरण के लिए रजिस्ट्रार फम्र्स सोसायटीज एवं चिट्स कार्यालय में आवेदन किया जा चुका है। रजिस्ट्रेशन होने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग में समिति का पंजीकरण कराया जाएगा। ये सारी प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर पूरी होने की संभावना है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 06:20 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 09:51 PM (IST)
रायबरेली जेल के लड्डू बढ़ाएंगे दीपावली में जायका, अफसरों ने ल‍िया प्रश‍िक्षण के दौरान बने पंजीरी व लड्डू का स्‍वाद
बंदी सहकारी और पुनर्वास समिति के पंजीकरण के लिए डीजी मुख्यालय भेजा गया आवेदन।

रायबरेली, [शैलेश शुक्ल]। जेल के लड्डू खाने हैं, तो दीपावली तक इंतजार कीजिए। पंजीरी और बेसन से बने ये लड्डू जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगे। इसके लिए कारागार में ही बंदियों और कैदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिले के अफसर तो इन लड्डुओं का स्वाद चख चुके हैं। अब इसके बाजार में आने का इंतजार है। कोरोना काल खत्म होने के बाद कारागार में रचनात्मक और उत्पादन से जुड़े कार्य फिर से शुरू करा दिए गए हैं। इसी क्रम में बंदियों और कैदियों को लड्डू बनाने का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा बंदी सहकारी और पुनर्वास समिति बनाई गई है।

पंजीकरण के लिए रजिस्ट्रार फम्र्स, सोसायटीज एवं चिट्स कार्यालय में आवेदन किया जा चुका है। रजिस्ट्रेशन होने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग में समिति का पंजीकरण कराया जाएगा। ये सारी प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर पूरी होने की संभावना है। दीपावली तक जेल में बने मिष्ठान को बाजार में लाया जाएगा। इसके लिए जेल प्रबंधन ने तैयारी पूरी कर ली है। समिति बनने से मिठाई बनाने वालों को भी लाभांश मिलेगा, साथ ही जब बंदी जेल से छूटेंगे तो उन्हें स्वरोजगार के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। वे अपना काम खुद शुरू कर सकेंगे।

हलवाई आया जेल, तब बना तालमेल : करीब दो माह पूर्व सलोन से एक हलवाई को जेल भेजा गया। जेलर सत्यप्रकाश से उसका सामना हुआ। जेलर ने उससे कहा कि बंदियों को लड्डू बनाने का प्रशिक्षण दे। तभी जेल में लड्डू बनाने की कार्ययोजना तैयार हो गई। पहले चरण में 12 बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यही बंदी जेल में और 12-12 लोगों को ट्रेङ्क्षनग देंगे। अधिक से अधिक बंदियों को यह काम सिखाया जाएगा, ताकि वे अपनी आमदनी बढ़ा सकें और स्वरोजगार से जुड़ सकें।

महामारी का दौर खत्म होने के बाद जेल में रचनात्मक काम शुरू कराए गए हैं। बंदियों को मुक्त होने के बाद स्वरोजगार से जुडऩे के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी कवायद के तहत तैयार हो रहे जेल के लड्डू जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगे।    -सत्य प्रकाश, जेलर, रायबरेली

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