हाई फ्लैक्स इम्प्लांट से 130 डिग्री तक मुड़ सकता है घुटना
पुरानी तकनीक के मुकाबले हाई फ्लैक्स तकनीक ज्यादा कारगर। कैडेवरिक घुटना प्रत्यारोपण तकनीक पर केजीएमयू की ओर से आयोजित हुई कार्यशाला।
लखनऊ, जेएनएन। घुटना प्रत्यारोपण की पुरानी तकनीक में मरीज केवल 90 डिग्र्री तक अपना पैर मोड़ सकता था। वहीं नई हाई फ्लैक्स इम्प्लांट से अब मरीज 120 से लेकर 130 डिग्री तक अपना पैर मोड़ सकता है। यह जानकारी केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के डॉ. शैलेंद्र सिंह ने केजीएमयू की ओर से आयोजित कैडेवरिक घुटना प्रत्यारोपण कार्यशाला के पहले दिन शनिवार को दी।
उन्होंने बताया कि हाई फ्लैक्स इम्प्लांट काफी एडवांस है। यह कोबाल्ट क्रोम और टाईटेनियम से बना होता है। इस प्रत्यारोपण से नमाज की मुद्रा में भी आसानी से बैठा जा सकता है। इसमें 50 से 70 हजार रुपये का खर्च आता है।
कब करें घुटना प्रत्यारोपण
50 वर्ष की ऊपर की आयु में अगर किसी को अर्थराइटिस है, जिसकी वजह से घुटना मोडऩे में परेशानी हो। घुटने टेढ़े न हो पाए, मोडऩे पर आवाज आए, बिना किसी सहारे चलना मुश्किल हो जाए तो घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत महसूस होती है। हालांकि विशेषज्ञ चिकित्सक का परामर्श जरूरी है।
घुटने का सायनोवियल फ्ल्यूड नहीं होता खत्म
आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि लोगों में घुटना प्रत्यारोपण को लकर काफी भ्रांतियां है। कई लोग बोलते हैं कि घुटने का फ्ल्यूड खत्म होने की वजह से घुटने घिसने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। घुटने की हड्डी की कार्टिलेज के घिसने की वजह से दिक्कत होती है।
प्रतिदिन 600 मिलीग्राम यूनिट विटामिन डी जरूरी
डॉ. संतोष ने बताया कि प्रतिदिन 600 यूनिट विटामिन डी जरूर लेना चाहिए। साथ ही सुबह 10.30 से 11 बजे के बीच की धूप जरूर लेनी चाहिए। इसके अलावा जरूरत से ज्यादा वजन भी घुटने की हड्डी को प्रभावित करता है। रविवार को केजीएमयू के एनॉटमी विभाग में पांच कैडेवर पर 10 लाइव आर्थो प्लास्टी की जाएगी। इसमें 35 डॉक्टर लाइव देख सकेंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. विनीत शर्मा, पीजीआइ रोहतक के डॉ. राकेश गुप्ता ने किया।