यूपी के सभी 75 जिलों के एसएनसीयू कर्मियों को प्रशिक्षित करेगा केजीएमयू, मिलेगी क्लास रूम और सुपरवायजरी ट्रेनिंग
राज्य के सभी 75 जिलों में बनाए गए 84 सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के डाक्टर्स व नर्सेस को विशेष प्रशिक्षण देने के लिए बुधवार को केजीएमयू के बाल रोग विभाग ने राज्य संसाधन केंद्र की शुरुआत की है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। राज्य के सभी 75 जिलों में बनाए गए 84 सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के डाक्टर्स व नर्सेस को विशेष प्रशिक्षण देने के लिए बुधवार को केजीएमयू के बाल रोग विभाग ने राज्य संसाधन केंद्र की शुरुआत की है। यहां सभी केंद्रों के डाक्टर्स व नर्सेस और अन्य स्टाफ को चार दिनों के क्लास रूम प्रशिक्षण और 14 दिनों का पर्यवेक्षक प्रशिक्षण दिया जाएगा। बुधवार को इस सत्र की शुरुआत बालरोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैली अवस्थी ने की। उन्होंने बताया कि नवजातों में मृत्युदर को कम करने के लिए और उनके बेहतर देखभाल के लिए सभी जिलों में एसएनसीयू की शुरुआत की गई है।
इस दौरान प्रो. माला कुमार, नोडल अधिकारी, राज्य संसाधन केंद्र ने एसएनसीयू में तैनात डाक्टर्स व स्टाफ नर्सेस द्वारा कौशल आधारित देखभाल की गुणवत्ता के महत्व पर जोर दिया। राष्ट्रीय सहयोग केंद्र, कलावती सरन और यूनिसेफ के सहयोग से केंद्र सरकार ने एक व्यापक सुविधा आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम प्रशिक्षण पैकेज विकसित किया है। प्रो माला कुमार, प्रो एसएन सिंह और प्रो शालिनी इस बैच के लिए प्रशिक्षक हैं। बाद में अन्य संकायों को भी जोड़ा जाएगा। बाल स्वास्थ्य महाप्रबंधक डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि कलावती सरन अस्पताल, नई दिल्ली भी प्रशिक्षण दिलाने में सहयोग करेगा। यूनिसेफ के डा. निर्मल सिंह ने कहा कि आशा के माध्यम से खतरे के संकेतों की शीघ्र पहचान और पास के अस्पताल में इलाज की सुविधा दिलाने व रेफरल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्रो उमा सिंह, डीन अकादमिक और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने कहा कि मां और नवजात देखभाल दोनों साथ-साथ चलती हैं। इस दौरान लेबर रूम का भी दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। कुलपित डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि नवजात शिशु के लिए पहला स्वर्णिम मिनट महत्वपूर्ण है, लेबर रूम के भीतर नवजात शिशु के पुनर्जीवन में कर्मचारियों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता है।