Kashi Vishwanath Corridor: श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की दीवारों पर रोशनी से बिखरी सतरंगी छटा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना अनुसार लाखों बाबा भक्तों की सुविधा की दृष्टि से बाबा दरबार को पूरे मनोयोग के साथ सजा रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण और सुंदरीकरण परियोजना के तहत लगभग 527730 वर्ग फीट क्षेत्र को संवारने के साथ भव्य-दिव्य गलियारे का रूप दिया जा रहा है।
लखनऊ, राजू मिश्र। उत्तर प्रदेश की तीर्थ-त्रयी अयोध्या, मथुरा और काशी सनातन धर्म के संपूर्ण संदेश को बांचती है। उत्तर प्रदेश वालों का यह सौभाग्य है कि ये तीनों पुण्य-भूमि इस प्रदेश का हिस्सा हैं। अयोध्या में राम मंदिर का बनना है, जहां सनातनधर्मियों का एक युग के प्रारंभ का साक्षी बनना है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से काशी में बाबा दरबार को गंगधार से एकाकार करने का उपक्रम भी ऐसा ही युगांतरकारी अवसर है।
काशी का अपना विशिष्ट महात्म्य है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम तीर्थयात्रियों की सुविधा और उपासना के लिए किए जा रहे कार्यो का लोकार्पण 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। महारानी अहिल्या बाई द्वारा वर्ष 1780 में बनवाया, सजाया गया काशीपुराधिपति का आंगन 240 वर्षो बाद पुन: अपने असल स्वरूप में विस्तार पा रहा है।
काशी ऐसा शहर है जहां देश के हर कोने से शिवभक्त आते हैं। इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए शहर के होटल 28 जनवरी तक फुल हो गए हैं। देश-विदेश से पर्यटक आ रहे हैं। लोकार्पण समारोह को स्मरणीय बनाने में प्रशासन ने हर स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। इन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। जनसहभागिता बढ़ाने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बनाई जा रही वीथिकाओं और पीठिकाओं में वेद-उपनिषद का ज्ञान, कर्मकांड और अनुष्ठान के दर्शन होंगे। परिसर में निर्मित वैदिक केंद्र में मंत्रोच्चार व पूजन पद्धति का ज्ञान देकर कर्मकांडी तैयार किए जाएंगे। बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में अर्चकों द्वारा प्रशिक्षण देकर उन्हें दक्ष बनाने के उपरांत प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से कई दशक से प्रयास किए जा रहे हैं। परिषद की बैठक में प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है। स्थान व न्यास में इसका विधान न होने से बात नहीं बन पा रही थी। अब मंदिर विस्तारीकरण-सुंदरीकरण परियोजना में भवन बन जाने के बाद इसका समाधान हो गया है। माना जा रहा है कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के बाद न्यास का पुनर्गठन होते ही इस दिशा में भी कदम बढ़ा दिए जाएंगे।
गंगा किनारे स्थित वैदिक केंद्र में सुबह से रात तक हवन की व्यवस्था होगी। परियोजना के आर्किटेक्ट डा. बिमल पटेल कहते हैं कि गंगा से विश्वनाथ मंदिर तक की यात्र आत्मावलोकन या आत्मदर्शन की यात्र का एक वास्तुशिल्प बोध है। इसी सोच के साथ कि हर तीर्थयात्री और पर्यटक को भी इसकी अनुभूति हो, हमने डिजाइन तैयार की।
काशीवासियों के साथ उद्योग जगत को भी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से बड़ी उम्मीदें हैं। ये उम्मीदें व्यर्थ भी नहीं। वजह कि जब पर्यटक आएंगे तो निसंदेह तकरीबन हर उद्योग-धंधे को बल मिलेगा। प्रदेश सरकार का धर्मार्थ कार्य विभाग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना अनुसार लाखों बाबा भक्तों की सुविधा की दृष्टि से बाबा दरबार को पूरे मनोयोग के साथ सजा रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण और सुंदरीकरण परियोजना के तहत लगभग 5,27,730 वर्ग फीट क्षेत्र को संवारने के साथ भव्य-दिव्य गलियारे का रूप दिया जा रहा है।
नारियल से कमजोर सड़क : यह सुनकर बरबस हंसी आ जाती है कि नारियल पटकने से सड़क धंस गई। बिजनौर जिले में जब यह वाकया घटा तो इंटरनेट मीडिया पर निर्माण कार्य की खिल्ली उड़ने में देर नहीं लगी। लगभग 700 मीटर सड़क बन चुकी है। हुआ कुछ यूं कि सड़क के शुभारंभ के अवसर पर विधायक ने सड़क पर पटककर नारियल तोड़ना चाहा, लेकिन नारियल तो टूटा नहीं अलबत्ता सड़क जरूर धंस गई। अब संबंधित अधिकारी सड़क को अधूरी बताकर पर्दा डालने में जुटे हैं, वहीं भाजपा विधायक सुचि चौधरी ने साफ कर दिया है कि इस सड़क के निर्माण में घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि एसआइटी गठित कर जांच होनी चाहिए। जल शक्ति मंत्री डा. महेंन्द्र सिंह ने सड़क को नए सिरे से बनाने के साथ ही संबंधित सहायक अभियंता और अवर अभियंता को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।
अभियंताओं के तर्क भी विचित्र हैं। अब कह रहे हैं कि अभी न सड़क पास है और न ही भुगतान हुआ है। निर्माण कार्य में घटिया सामग्री की जांच पीडब्ल्यूडी विभाग की टीम कर रही है। यह सड़क नारियल से नहीं टूटी है, बल्कि फावड़े से मैटेरियल को हटाया गया है। सड़क से नमूना लेकर जांच को भेजा गया है। एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।