Karva Chauth 2021: करवाचौथ में इस बार चंद्रमा का पूजन विशेष फलदायी, जानें- कैसे करें पूजन

Karva Chauth 2021 करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु और उनके सुखमय जीवन के लिए रखती हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 11:22 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 08:11 PM (IST)
Karva Chauth 2021: करवाचौथ में इस बार चंद्रमा का पूजन विशेष फलदायी, जानें- कैसे करें पूजन
करवा चौथ का व्रत हर साल 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा।

लखनऊ, जेएनएन। भारतीय संस्कृति में त्योहार न केवल हमे हमारी परंपराओं से परिचित कराते हैं बल्कि हमारे अंदर आस्था और विश्वास जगाने का भी काम करते हैं। हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का भी विशेष महत्व है। इस साल करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा। करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला और निराहार रखा जाता है। आइये जानते हैं कि इस वर्ष करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजन। 

करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु और उनके सुखमय जीवन के लिए रखती हैं। महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किये हुए व्रत रखकर शाम को माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं। उसके बाद चंद्रमा का छलनी के अंदर से दर्शन करती हैं। इसके बाद पति के हाथ से जल पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं।

आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि 24 अक्टूबर को चतुर्थी शाम 5:45 बजे से 6:59 बजे तक पूजन का शुभ मुहूर्त है। इस बार करवाचौथ में चंद्रमा का पूजन विशेष फलदायी होगा। चंद्रमा का पूजन स्त्रियों के लिए पति और बच्चों के लिए अच्छा रहेगा। करवाचौथ का पूजन चंद्रोदय के पहले करना उत्तम होगा। चंद्रोदय रात 8.07 बजे होगा। इससे पहले प्रदोष बेला में 7.30 बजे तक पूजन कर सकते हैं। चतुर्थी 23 को सुबह 3:01 बजे से शुरू होकर 25 अक्टूबर को 5:43 बजे तक रहेगी।

शिव-पार्वती की होती है पूजा : आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि करवाचौथ के व्रत में शिव पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास या सास की उम्र के समान किसी सुहागिन के पैर छूकर सुहाग की सामग्री भेंट करना उत्तम होता है। छत या आंगन में गाय के गोबर से लीपकर और स्वास्तिक बनाकर पूजन करना चाहिए। आचार्य विजय वर्मा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं और दानवों में हुए युद्ध में दानव देवताओं पर भारी पड़े तो ब्रह्मा जी ने देवों को विजयी बनाने के लिए उनकी पत्नियों को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा। ऐसा करने से देवताओं की युद्ध में जीत हुई थी और तभी से व्रत शुरू हो गया।

करवा चौथ व्रत की विधि सूर्योदय से पूर्व उठकर सरगी खाएं। करवा चौथ व्रत वाले दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इस पावन व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें। देवी-देवताओं की प्रतिदिन की भांति इस दिन भी पूजा करें। फिर पूरे दिन निर्जल व्रत रखें। शाम के समय भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य एवं श्रृंगार के सामान आदि से पूजा करें। करवा चौथ व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें। चंद्र देव के उदय होने उनका दर्शन करें और उसके बाद पति को छलनी से देखें। चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद अपने पति को तिलक लगाकर प्रसाद खिलाएं और उननके हाथों से पानी पीकर अपना व्रत पूर्ण करें। परिवार में बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

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