Ayodhya Ram Mandir News: मंदिर आंदोलन के नायकों का स्मारक बना कारसेवकपुरम, चित्रों से सजी गैलरी

नायकों के अतिरिक्त 1992 के मंदिर आंदोलन की कुछ खास तस्वीरें भी ध्यान खींच रही हैं। यहां जिन नायकों के दर्शन हो रहे हैं उनमें राम मंदिर आंदोलन को शुरुआती दिनों से अपना आशीर्वाद देने वाले देवरहा बाबा भी हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 09:52 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:52 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir News: मंदिर आंदोलन के नायकों का स्मारक बना कारसेवकपुरम, चित्रों से सजी गैलरी
स्वयंसेवकों का जत्था आंदोलन की विरासत को कर रहा शिरोधार्य।

अयोध्‍या, [प्रवीण तिवारी]। कारसेवकपुरम का कोना-कोना इन दिनों राम मंदिर आंदोलन की याद से भर उठा है। न सिर्फ आंदोलन से जुड़े दिग्गज नायकों के कटआउट जगह- जगह लगाए गए हैं, बल्कि इनके परिचय का उल्लेख भी किया गया। बाकायदा इन नायकों के चित्रों की गैलरी सजी है। यहां नित्य बड़ी तादाद में स्वयंसेवक आंदोलन की याद को ताजा कर रहे हैं।

नायकों के अतिरिक्त 1992 के मंदिर आंदोलन की कुछ खास तस्वीरें भी ध्यान खींच रही हैं। यहां जिन नायकों के दर्शन हो रहे हैं, उनमें राम मंदिर आंदोलन को शुरुआती दिनों से अपना आशीर्वाद देने वाले देवरहा बाबा भी हैं। साथ ही गोरक्षपीठ के महंत रहे साकेतवासी अवेद्यनाथ, प्रयागराज के प्रख्यात संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, सुग्रीव किला के महंत रहे पुरुषोत्तमाचारी, उडुप्पी के जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्वेशतीर्थ, काशी के जगद्गुरु श्रीरामानंदाचार्य स्वामी श्री शिवरामाचार्य, आंदोलन में प्राण फूंकने वाले रामचंद्रदास परमहंस के कटआउट तो मंदिर आंदोलन की कहानी बयां करने वाले हैं।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सि‍ंघल की तस्वीर कारसेवकपुर के मुख्यद्वार से लेकर भीतर गैलरी तक में प्रदर्शित की गई है। 1992 में लाठीचार्ज के दौरान घायल अवस्था का उनका चित्र विह्वल कर देने वाला है। इसके अतिरिक्त आरएसएस के संस्थापक डा. केशवराव बलिराम हेडगेवार सहित कई पूर्व संघ प्रमुखों की तस्वीरें भी प्रदर्शित हैं। गत 17 अक्टूबर से चल रहे संघ के अखिल भारतीय शारीरिक अभ्यास वर्ग में प्रतिभाग करने वाले देश भर से आए शारीरिक प्रमुखों का जत्था नित्य यहां पहुंच रहा है। इस वर्ग से जुड़े संघ के एक अधिकारी ने बताया कि मंदिर आंदोलन के नायकों के चित्र की गैलरी लगा कर यहां आने वाले देशभर के 460 प्रतिभागियों शारीरिक प्रमुख व अन्य पदाधिकारियों को मंदिर आंदोलन की स्मृतियों से जोडऩे का प्रयास किया गया है, जिससे ये सभी मंदिर निर्माण के दृश्य के पीछे की कहानी भी जान सकें।

chat bot
आपका साथी