शाही अंदाज में दरगाह शाहमीना से निकला जुलूस-ए-मुहम्मदी
ईद-ए-मिलादुन्नबी : परचम के साथ शहरभर से 200 अंजुमन जुलूस में शामिल रहीं। कई जगह फूलों की बारिश कर अंजुमन में शामिल लोगों का इस्तकबाल किया गया।
लखनऊ, जेएनएन। या नबी सलाम अलैका, या रसूल सलाम अलैका...। फिजाओं में गूंजते नारों के बीच जुलूस-ए-मुहम्मदी के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ, तो शहर की करीब 200 अंजुमन अपने-अपने परचम व झंडों के साथ सलाम पढ़ती आगे बढ़ चली। ईद-ए-मिलादुन्नबी पर बुधवार को शाही अंदाज में जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला गया।
सबसे पहले चौक स्थित दरगाह हजरत मख्दूम शाहमीना शाह में काजी-ए-शहर मुफ्ती इरफान मियां फरंगी महली ने जश्न-ए-मिलादुन्नबी का खिताब कर हुजूर पाक की शिक्षाओं पर अमल करने की अपील की। कहा कि अल्लाह ने सबसे पहले मुहम्मद साहब के नूर को बनाया, फिर उसी नूर से पूरी कायनात को बनाया। इसलिए पूरी इंसानियत के लिए 12 रबीउल्ल अव्वल का दिन रहमतों व बरकतों वाला है। इसके बाद कारी सद्रे आलम और कारी यार मुहम्मद ने नात-ए-पाक पेश की, बाद में दरगाह परिसर से जुलूस के बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। सबसे आगे काजी-ए-शहर की शाही सवारी, जिसके पीछे बाकी अंजुमन नबी की शान में सलाम पढ़ती चल रही थी। रास्ते में कई जगह फूलों की बारिश कर अंजुमन में शामिल लोगों का इस्तकबाल किया गया।
जुलूस दरगाह शाहमीना शाह से चंद कदम दूर ज्योतिबा फूले पार्क के पास पहुंच कर जश्न-ए-मिलादुन्नबी में बदल गया। दरगाह के पास कई जगह सबीलें सजाई गई, जिसमें जायरीनों को लंगर बांटा गया। जुलूस में शामिल होने के लिए शहरभर से अंजुमन अपने-अपने परचम के साथ दरगाह पहुंची। इस बीच रविदास मेहरोत्रा, मौलाना शम्स तबरेज, शेख शाकिर अली मिनाई डॉ. एहसान उल्लाह, सैयद इकबाल हाशमी, अफ्फान मियां फरंगी महली सहित कई लोग शामिल रहे।