कुख्यात ददुआ और ठोकिया को मारने में आईपीएस अनंत देव तिवारी की रही है अहम भूमिका
Kanpur Police Attack Case कानपुर कांड से सुर्खियों आए तेजतर्रार अधिकारी माने जाने वाले अनंत देव तिवारी की भूमिका पर अब बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। कानपुर में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए पहुंची पुलिस टीम पर हमले में शहीद सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर जांच के घेरे में आए तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआईजी एसटीएफ अनंत देव तिवारी पूर्व में कुख्यात ददुआ और ठोकिया को मुठभेड़ में मार गिराने वाली एसटीएफ टीम का हिस्सा रहे हैं। कानपुर कांड से सुर्खियों आए तेजतर्रार अधिकारी माने जाने वाले अनंत देव तिवारी की भूमिका पर अब बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके बाद मंगलवार रात को शासन ने अनंत देव को डीआईजी एसटीएफ के पद से हटाकर मुरादाबाद पीएसी भेज दिया। अभी तक वह एसटीएफ की उस टीम का हिस्सा थे जो कानपुर मुठभेड़ कांड की जांच कर रही है।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाने वाले अनंत देव पीपीएस संवर्ग से पदोन्नत होकर आईपीएस अधिकारी बने थे। 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी अनंत देव मूल रूप से फतेहपुर के निवासी हैं और वर्ष 1991 में पुलिस सेवा में आए थे। लंबे समय तक एसटीएफ में तैनात रहे अनंत देव ने एएसपी के पद पर रहते हुए कई कुख्यात अपराधियों को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांंकि वर्ष 2013 में एसपी गोरखपुर के पद पर तैनात रहने के दौरान एक सपा नेता के बेटे की पिटाई के मामले में उनका नाम सुर्खियों में आया था। तब उन्हें निलंबित किया कर दिया था। बताया गया कि करीब दो माह निलंबित रहने के बाद वह बहाल हुए थे। एसपी फैजाबाद, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर व आजमगढ़ के पदों पर भी तैनात रहे अनंत देव एसएसपी कानपुर रहते हुए जनवरी माह में डीआईजी के पद पर पदोन्नत हुए थे।
बता दें कि कानपुर में पुलिस टीम पर हमले में शहीद सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर जांच के घेरे में आए तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआइजी एसटीएफ अनंत देव तिवारी को मंगलवार रात को शासन ने हटाकर मुरादाबाद पीएसी भेज दिया। मंगलवार को पत्र प्रकरण की जांच करने पहुंची आइजी लक्ष्मी सिंह की रिपोर्ट आने के बाद शासन ने उन्हें हटाने का फैसला किया। इससे पहले सीओ देवेंद्र मिश्र के परिजनों ने भी अनंत देव पर सवाल खड़े किए थे। सोमवार को यह पत्र सीओ की बेटी ने ही घर में मिली पत्रावली से निकालकर दिखाया था। यह पत्र फिलहाल किसी रिकॉर्ड में नहीं है। शक है कि इसे गायब कर दिया गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर आइजी लखनऊ लक्ष्मी सिंह मंगलवार सुबह बिल्हौर स्थित सीओ कार्यालय जांच के लिए भेजा गया। करीब साढ़े चार घंटे तक बंद कमरे में उन्होंने दस्तावेजों का निरीक्षण किया। आईजी लक्ष्मी सिंह की रिपोर्ट आने के बाद योगी सरकार ने उन्हें हटाने का फैसला किया।
इसलिए उठ रहे अनंत देव पर सवाल