International Day of Families 2021: संक्रमण काल में समझ आया संयुक्त परिवार का महत्‍व

International Day of Families 2021 बात संयुक्त परिवार की हो तो रिश्तों की डोरी से बंधा स्नेह और विश्वास का बंधन और भी खास हो जाता है। तब समझौता छोटा और खुशियां अपार हो जाती हैं। शहर में ऐसे ही कुछ संयुक्त परिवार हैं जो कई वर्षों से साथ हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 09:01 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 04:46 PM (IST)
International Day of Families 2021: संक्रमण काल में समझ आया संयुक्त परिवार का महत्‍व
International Day of Families2021: अपनों की सेवा में जिद्दोजहद करते रहे परिवार के सदस्य।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। International Day of Families2021: सुख जो परिवार में है, वो कहीं और नहीं। घर में वट वृक्ष सरीखे बुजुर्गों का सानिध्य छोटों में संस्कारों के बीज बोता है। अनुशासन लाता है। बात संयुक्त परिवार की हो तो रिश्तों की डोरी से बंधा स्नेह और विश्वास का बंधन और भी खास हो जाता है। तब समझौता छोटा और खुशियां अपार हो जाती हैं। शहर में ऐसे ही कुछ संयुक्त परिवार हैं, जो एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखते हुए कई वर्षों से साथ हैं। कोरोना संक्रमण काल में न केवल एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहे बल्कि सुरक्षा के साथ उनका ख्याल रखते रहे। वर्तमान समय मेें एकल परिवार के चलन के बीच कोरोना काल में संयुक्त परिवार की परभाषा समझ में आई।

एक छत के नीचे, दूर रहने की चुनौती : राजेंद्र नगर मेें एक परिवार के 25 सदस्य एक साथ रहते हैं। कोरोना संक्रमण काल में सभी से मिलने की उत्सुकता और दूर रहने की चुनौती भी परिवार के सामने रहती है। परिवार के सबसे छोटे सदस्य अतुल मिश्रा ने बताया कई सदस्य कोरोना काल में बाहर गए तो उन्हें वहीं रोक दिया गया। संक्रमण से सुरक्षा के साथ बाकी सदस्य एक छतत के नीच के नीचे एक दूसरे से दूर रहते हैं। पिता लक्ष्मी नारायण मिश्रा ने एकता का पाठ पढ़ाया और हम पांच भाई परिवार के साथ एक छत के नीचे रहते हैं। बड़े भाई अरुण कुमार मिश्रा दो साल पहले पिता जी के निधन के बाद पिता की भूमिका में रहते हैं। 75 वर्षीय बड़े भाई बाहर के काम को लेकर भाइयों को निर्देश देते हैं तो 70 वर्षीय भाभी विमलेश्वरी देवी महिलाओं के साथ गृहस्थी चलाती हैं। उनसे छोटे अवधेश कुमार मिश्रा-शशि मिश्रा, राघवेंद्र मिश्रा-मंजू मिश्रा, यादवेंद्र मिश्रा-सुनीता ओर सबसे छोटे अतुल मिश्रा-सुमन मिश्रा का परिवार कुटुम्ब के रूप में रहता है। संक्रमण काल में भी सभी एक साथ दूरी बनाकर भोजन करते हैं।

संक्रमण ने बढ़ा दी दूरी, पर परिवार की चिंता है पूरी

चित्रगुप्तनगर वार्ड के पूर्व पार्षद हरसरन लाल गुप्ता अपने चार भाइयों और उनके परिवार के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। भोलाखेड़ा में रहने वाले हरसरन लाल गुप्ता के 27 सदस्याें वाले परिवार में चार सदस्य संक्रमण की वजह से आगरा गए और वहीं उन्हें रोक दिया गया। संक्रमण से दूरी बढ़ी जरूर लेकिन परिवार की चिंता बनी रही। उनका कहना है कि संक्रमण काल में परिवार एक साथ सभी की चिंता करता है। एक दूसरे को मास्क लगाने के लिए टोंका जाता है तो कोई बुरा नहीं मानता। हर सरनलाल बताते हैं कि सामान्य दिनों में एक साथ जब सपरिवार का निमंत्रण आता है तो जाने से पहले काफी सोचना पड़ता है कि एक साथ सब लोग जाएंगे तो बुलाने वाला क्या सोचेगा? क्योंकि बुलाने वाले को पता ही नहीं होता है कि उनकी फैमिली में 27 लोग हैं। ऐसे में कोशिश करते हैं कि कुछ लोग ही दावत में जाएं, जिससे उसे परेशानी न हो। करीबी रिश्तेदारों के यहां ही सब लोग जाते हैं। हरसरन लाला गुप्ता ने बताया कि पिता रामआसरे गुप्ता ने संयुक्त परिवार की नींव रखी थी। उनके पांच भाइयों का परिवार एक साथ रहता था और बड़े होने के नाते मुझे यह जिम्मेदार मिली और मेरी कोशिश रहती है कि सब लोग एक साथ रहें। महिलाएं मिलकर खाना बनाती हैं और सभी लोग एक साथ भोजन करते हैं।

10 सदस्यों में तीन संक्रमित : इंदिरानगर की अंजली चौरसिया के परिवार में 10 सदस्यों में तीन को कोरोना हो गया। कोरोना से पिता छोटेलाल का निधन हो गया। गम का पहाड़ टूटा लेकिन बच्चों के साथ परिवार की सुरक्षा की चिंता से दिल पर पत्थर रखकर उनकी देखभाल में लग गई। मां और भाई में लक्षण मिले तो उन्हें केजीएमयू में भर्ती करके परिवार के सभी लोगों का टेस्ट कराया। अस्पताल से वापस आने पर बच्चों से दूर रहने की चुनौती भी सामने रहती थी। एक महीने तक चलता रहा और अब जाकर सभी लोग ठीक हुए हैं। अंजली बताती हैं कि नानी और दादी की आवाज एक ही छत के नीचे सुनकर खुशी होती है बस पिता जी के जाने गम भूल नहीं पा रही हूं। भाई शेखर और मां विजय लक्ष्मी के साथ मिलकर, संक्रमण काल से परिवार को बचाने में लगी हूं। 

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