यूपी में सरसों पर कीटों का प्रकोप, बचाव के लिए फसलों की नियमित निगरानी करें किसान
बरसात हो जाने से जिले में सरसों की बुआई का रकबा किसानों ने बढ़ाया है। समय पर बुवाई होने से फसल भी बहुत अच्छी है। चटकीली धूप सरसों की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है। कभी-कभी धूप प्रमुख रूप से सरसों की आरा मक्खी कीट को बढ़ा देती है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। बरसात हो जाने से जिले में सरसों की बुआई का रकबा किसानों ने बढ़ाया है। समय पर बुवाई होने से फसल भी बहुत अच्छी है। दिन में चटकीली धूप सरसों की फसल के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। कभी-कभी धूप प्रमुख रूप से सरसों की आरा मक्खी कीट को बढ़ा देती है, आरा मक्खी कीट की सुड़िया सुबह सूर्य निकलने से पहले सरसों की कोमल पत्तियों को बड़े चाव से खाती हैं और पत्तियों में छेद कर देती हैं इनके मुखांग काटने -चबाने वाले होते हैं अधिक प्रकोप से छोटे पौधों की पत्तियां सूख जाती हैं और पौधों की वृद्धि में रुक जाती है । इस समय सरसों की फसल लगभग 35 से 40 दिन की है इसी समय निगरानी करने की आवश्यकता होती है। इसी समय सरसों की फसल पर आरा मंक्खी कीट का प्रकोप अधिक बढ़ता है। कभी-कभी पूरी फसल नष्ट हो जाती हैं जिसके कारण फसल को फिर से बुवाई करनी पड़ती है।
इसकी सुड़ियां नवंबर के माह से मार्च तक अधिक नुकसान करती हैं सूंडिया सबसे अधिक मूली की पत्तियों को खाना पसंद करती हैं। सूड़ियां सुबह सूरज निकलने के समय अधिक क्रियाशील होती हैं। इस कीट की मादा अवस्था आरी के समान ओवीपोजिटर से पत्तियों के किनारे चीर कर उनमें अंडे देती है। जब पौधा 30 से 35 दिन का होता है तो मादा कीट अधिक अंडे देती है मादा द्वारा दिए गए अंडे दूधिया रंग के होते हैं। बाद में यह अंडे काले हो जाते हैं अंडे कतारों में दिए जाते हैं जिसे किसान इसे आसानी से पहचान सकते हैं। एक मादा औसतन 60 से 70 अंडे देती है । अंडे चार दिन में फूटते हैं और 27 दिन तक इससे निकली सुंडियां पत्तियों को खाती रहती हैं। यह स्लेटी रंग की होती हैं इनका सिर काला होता है और शरीर बेलनाकार होता हैं। पूर्ण विकसित सुंडियां काली रंग की होती है। यह बहुत तेज रफ्तार में पत्तियों को खाती है और लगभग इस कीट की चार पीढ़ियां पूरे वर्ष में पाई जाती हैं।
बख्शी का तालाब स्थित चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के सह- आचार्य डा. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सुंडियों सरसों की फसल पर सुबह दिखाई पड़ती हैं यदि एक वर्ग फिट क्षेत्रफल में यदि दो से तीन सूड़ियां मिलती हैं तो किसानों को सलाह दी जाती है कि लैम्डा साईहेलोथ्रिन कीटनाशक की 1.5 एम एल मात्रा को एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। यदि यह कीटनाशक बाजार में नहीं मिलता उपलब्ध होता है तो इमामेक्टिन बेंजोएट छह ग्राम मात्रा को 15 लीटर पानी की टंकी में घोल बनाकर छिड़काव लाभप्रद होता है। कीटनाशकों का छिड़काव सरसों की फसल पर शाम 4 बजे के आसपास पूर्ण कर लेना चाहिए। कीटनाशक सदैव रजिस्टर्ड दुकान से लेना चाहिए और दुकानदार से पक्का परिचय अवश्य बनवा लेना चाहिए। छिड़काव करते समय अपने मुंह पर मास्क लगाकर रखना चाहिए।