Medicine of Dengue: भारतीय विज्ञानियों ने ढूंढ़ ली डेंगू की दवा, CDRI लखनऊ में चूहों पर ट्रायल सफल
Medicine of Dengue सीडीआरआइ लखनऊ के विज्ञानियों ने दो दवाओं को डेंगू के इलाज में पाया कारगर। चूहों पर ट्रायल सफल होने के बाद अब मनुष्यों पर जल्द शुरू होगा ट्रायल। अभी थ्रोंबोसिस के इलाज में इस्तेमाल होती हैं ये दोनों दवाएं।
लखनऊ, [धर्मेंद्र मिश्रा]। हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले डेंगू की दवा भारतीय विज्ञानियों ने गहन शोध के बाद तलाश ली है। इसके प्रथम चरण में चूहों पर किया गया ट्रायल सफल पाया गया है। जल्द ही मानवों पर भी इसका परीक्षण होगा। इसके बाद यह दवाएं बाजार में उपलब्ध हो सकती हैं। केंद्रीय औषधि एवं अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर- सीडीआरआइ) के विज्ञानियों ने बताया कि दो ड्रग डेंगू के इलाज में कारगर पाए गए हैं। सौ चूहों पर इस ड्रग का ट्रायल किया गया। इससे डेंगू मरीजों के सटीक इलाज की नई उम्मीद जाग चुकी है। अभी तक पूरी दुनिया में डेंगू की कोई दवा मौजूद नहीं है। सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता है। ऐसे में विज्ञानियों की यह खोज देश के साथ ही साथ दुनिया भर के मरीजों के लिए काफी बड़ी और अहम मानी जा रही है। हालांकि अभी मानव पर इस ड्रग का ट्रायल नहीं हुआ है, लेकिन इसकी तैयारी शुरू हो गई है।
सीडीआरआइ के निदेशक प्रोफ़ेसर तपस कुंडू ने बताया कि यह दवाएं डेंगू मरीजों पर भी पूरी तरह कारगर होंगी। ह्यूमन ट्रायल के बाद दवा को पेटेंट करा कर शीघ्र ही बाजार में उतारा जाएगा। उन्होंने बताया कि मनुष्यों पर ट्रायल की प्रक्रिया बहुत तेजी से चल रही है क्योंकि इस समय कोरोना के कहर के साथ देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि पेटेंट प्रक्रिया पूरी नहीं होने तक अभी दोनों ड्रग के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता।
खून के थक्के नहीं जमने देतीं ये दवाएं : प्रोफेसर तपस कुंडू ने बताया कि यह दवाएं फिलहाल थ्रोंबोसिस व स्ट्रोक के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही हैं। थ्रोंबोसिस रक्त की धमनियों या नसों में खून के थक्के का गुच्छा है। यह थक्का सामान्य रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है।
क्या है डेंगू : डेंगू रक्तस्रावी बुखार भी है। इसमें रक्तस्राव भी होता है जिसे डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहते हैं। साथ ही प्लेटलेट का स्तर तेजी से कम होने लगता है। यह एडीज मच्छरों के काटने से होता है। सीडीआरआइ के विज्ञानियों का कहना है कि इन दवाओं से मरीजों का प्लेटलेट बढ़ेगा। साथ ही मरीज को हेमोरेजिक स्थिति में जाने से भी यह दवाएं बचाएंगी।