केजीएमयू में कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल, चिकित्सा सेवाएं प्रभावित

किंग जार्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) में कर्मचारी परिषद ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल मंगलवार से शुरू कर दी है। कर्मचारी पांच वर्षों से लंबित वेतनमान लागू न करने के विरोध में ऐसा कर रहे हैं। हड़ताल करने वालों में गैर-शै‍क्षणिक कर्मचारी शामिल हैं।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 03:23 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 03:58 PM (IST)
केजीएमयू में कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल, चिकित्सा सेवाएं प्रभावित
इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। किंग जार्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) में कर्मचारी परिषद ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल मंगलवार से शुरू कर दी है। कर्मचारी पांच वर्षों से लंबित वेतनमान लागू न करने के विरोध में ऐसा कर रहे हैं। हड़ताल करने वालों में गैर-शै‍क्षणिक कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारियों ने ओपीडी ब्‍लाक के गेट पर ही धरना शुरू किया। इससे संस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावित हो रही है। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है।

इस मसले पर शासन-प्रशासन के बीच लंबे समय से गतिरोध जारी है। कई दौर की बातचीत के बाद कोई हल नहीं निकला तो कर्मचारियों ने 16 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का एलान किया था। इस पर कर्मचारी परिषद के अध्‍यक्ष प्रदीप गंगवार ने बताया कि केजीएमयू कर्मियों को संजय गांधी पीजीआई के बराबर वेतन-भत्ते देने की तत्‍कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा तथा कैबिनेट के अनुमोदन के पश्चात 23 अगस्‍त 2016 को शासनादेश निर्गत किया गया था। उक्त आदेश के पालन में 5 वर्ष पश्चात भी अभी तक मात्र 2 संवर्गों का ही संवर्गीय पुनर्गठन (कैडर स्ट्रक्चरिंग) किया गया है, जिसमें भी मात्र एक ही संवर्ग के शासनादेश को लागू कर लाभ दिया गया है।

इस मसले पर सरकार के स्तर पर हुए प्रयासों को लेकर गंगवार ने बताया कि इसी वर्ष जनवरी में चिकित्‍सा शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, तत्‍कालीन विभागीय अपर मुख्‍य सचिव डा. रजनीश दुबे, तत्‍कालीन अपर मुख्‍य सचिव वित्त संजीव मित्तल, कुलसचिव तथा कर्मचारी परिषद के मध्य एक बैठक हुई थी। बैठक में मंत्री द्वारा कर्मचारी परिषद की मांग को जायज ठहराते हुए मार्च तक चार कैडर तथा सितंबर तक समस्त कैडरों की कैडर स्ट्रक्चरिंग करने के लिए सरकारी निर्देश जारी किए गए थे। गंगवार की शिकायत है कि मंत्री के सख्त निर्देशों का संबंधित अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा। ऐसे में उनके पास हड़ताल के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।बहरहाल इस हड़ताल का सबसे ज्यादा खामियाजा मरीजों और तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि गैर शैक्षणिक कर्मी हड़ताल पर चले गये हैं। उनकी पूरी चिकित्सा प्रक्रिया में अहम भूमिका होती है। ओपीडी में आए तमाम मरीज चिन्ना हो पाने की वजह से बैरंग वापस लौट गए हैं।

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