यूपी में बढ़ता भूजल प्रदूषण शुद्ध जलापूर्ति में बाधा, अस्सी फीसद जलापूर्ति भूजल पर ही निर्भर

इन प्रदूषित भूजल स्रोतों से की जाने वाली स‍िंचाई से यह विषाक्त प्रदूषक फूड चेन के जरिये आम आदमी की सेहत के लिए खतरा बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में नागरिकों की सेहत के लिए स्वच्छ व सुरक्षित पानी मिलने के अधिकार की वकालत की है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 02:46 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 02:46 PM (IST)
यूपी में बढ़ता भूजल प्रदूषण शुद्ध जलापूर्ति में बाधा, अस्सी फीसद जलापूर्ति भूजल पर ही निर्भर
महकमों के पास नहीं प्रदूषण की असल तस्वीर, सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित।

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। सुप्रीम कोर्ट की मंशा है कि हर नागरिक को सुरक्षित व प्रदूषण मुक्त पानी मिले, लेकिन उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों के लिए स्वच्छ जलापूर्ति सुनिश्चित कर पाना एक बड़ी चुनौती है। हकीकत यह है कि पेयजल, सिंचाई सहित अन्य जरूरतों के लिए भूजल पर 75-85 प्रतिशत तक निर्भरता है, जबकि तमाम अध्ययनों में भूजल प्रदूषण के गंभीर मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जो भूजल स्रोतों पर बढ़ती निर्भरता के लिए एक बड़ी समस्या है।  प्रदेश के कई नए जिले विषाक्त आर्सेनिक से प्रदूषित हैं। केवल आर्सेनिक ही नहीं, भूजल भंडारों में भारी धातुओं के साथ जीवाणुओं की भी भरमार है। ऐसे में एक ओर जहां पीने के लिए शुद्ध पानी मुहैया कराना बड़ी चुनौती है, वहीं इन प्रदूषित भूजल स्रोतों से की जाने वाली स‍िंचाई से यह विषाक्त प्रदूषक फूड चेन के जरिये आम आदमी की सेहत के लिए खतरा बन गए हैं। यह चि‍ंंता इसलिए है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में नागरिकों की सेहत के लिए स्वच्छ व सुरक्षित पानी मिलने के अधिकार की वकालत की है। 

लखनऊ के पेयजल स्रोतों में भी मिला आर्सेनिक

उत्तर प्रदेश में अभी तक गोरखपुर, बलिया, बस्ती, गोंडा, लखीमपुर खीरी, बहराइच समेत कुल 28 जिलों में आर्सेनिक प्रदूषण की पुष्टि हुई थी। लेकिन, हाल के कुछ वर्षों में आर्सेनिक विषाक्तता की पुष्टि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, संभल, अमरोहा, बरेली यहां तक कि राजधानी लखनऊ के कई भूजल स्रोतों की जांच में हुई है, जिन्हें अभी तक आर्सेनिक मुक्त माना जाता रहा है। केवल आर्सेनिक ही नहीं, कई नए जिलों से फ्लोराइड, आयरन, मैग्नीज व अन्य घातक भारी धातुओं की विषाक्तता भी भूजल स्रोतों में पाई गई है। वहीं, टोटल कॉलीफॉर्म के साथ मलजनित जीवाणुओं के पाए जाने की पुष्टि भी तमाम जिलों के भूजल स्रोतों की पड़ताल में हुई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्ययनों में तो भूजल में बोरोन और अमोनिया के मामले भी प्रकाश में आए हैं। 

लोगों की सेहत खतरे में

दरअसल, भूजल प्रदूषण की स्थिति इसलिए गंभीर है क्योंकि उत्तर प्रदेश सहित ज्यादातर राज्यों में पेयजल और सिंचाई के लिए जलापूर्ति मुख्य रूप से भूजल से ही होती है और भूजल स्रोतों के प्रदूषित होने की स्थिति में जलापूर्ति योजनाओं के बुरी तरह से प्रभावित होने के साथ आम आदमी की सेहत भी बीमारियों के खतरों से घिरी है। 

यूपी में भूजल प्रदूषण से प्रभावित जिले

नाइट्रेट : 49, आर्सेनिक : 36, लेड : 10, आयरन : 37, फ्लोराइड : 23, मैगनीज : 11, क्रोमियम : चार, कैडमियम : दो।

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