DR Sugestions on Coronavirus: कोरोना में स्टेरायड का गलत इस्तेमाल घातक, खड़ी हो रहीं कई तरह की परेशानी
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के न्यूरो ईएनटी विशेषज्ञ एवं यूपी ईएनटी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. अमित केशरी जो इस समय कोरोना वार्ड में तैनात हैं कहते है कि प्रदेश में लगभग 70 मामले म्यूक्रोमायकोसिस के मामले आए है जो जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं।
लखनऊ, [कुमार संजय]। कोरोना संक्रमित होने पर स्टेरॉयड (डेक्सामेथासोन, मिथाइल प्रेडनीसोलोन सहित अन्य) संक्रमण की गंभीरता कम करने में कारगर हैं, लेकिन इसका सही तरीके से इस्तेमाल न करना कई तरह की परेशानी खड़ी कर सकता है। गलत इस्तेमाल से म्यूक्रोमायकोसिस, हाई शुगर जैसी दिक्कतें सामने आ रही है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के न्यूरो ईएनटी विशेषज्ञ एवं यूपी ईएनटी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. अमित केशरी जो इस समय कोरोना वार्ड में तैनात हैं, कहते है कि प्रदेश में लगभग 70 मामले म्यूक्रोमायकोसिस के मामले आए है जो जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं।प्रदेश के डाक्टरों को जागरूक करने के लिए हम लोग इस स्थिति से निपटने के लिए गाइडलाइन जारी करने जा रहे हैं। इस स्थित में साइनस में फंगस ग्रो हो जाता है, जिसके कारण परेशानी हो रही है। फेफड़ों में भी फंगस हो रहा है। साथ ही स्टेरायड के कारण शुगर भी काफी तेजी से भाग रहा है।
शुगर का स्तर लंबे समय तक बढ़े होने पर शरीर के अंग खराब हो सकते हैंं। स्टेरायड किस मात्रा में और कब तक लेनी है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पहले तो डाक्टर से सलाह लेना चाहिए, लेकिन इस समय वे मिल नहीं पा रहे हैं। दूरदराज इलाकों में फोन से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है, ऐसे में और सावधानी की जरूरत है। स्टेरायड ले रहे हैं तो शुगर का बढऩा तय है, इसे नियंत्रित करने के लिए हर पल इसके स्तर पर नजर रखनी होगी। इंसुलिन लेकर इसे नियंत्रित करें। प्रो. अमित का कहना है कि संक्रमित मरीज यदि स्टेरायड लेते हैं तो संक्रमण ठीक होने के बाद भी लगातार कई महीने तक शुगर पर नजर रखना होगा। देखा गया है कि लोगों को इस दवा से आराम मिल रहा है, तो वह लंबे समय तक लेते रह जा रहे हैं।
क्या है म्यूक्रोमायकोसिस
एक तरह का फंगल इंफेक्शन है। इसका असर फेफड़े, दिमाग और त्वचा पर होता है। ब्लैक फंगस होने वाले लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है। ज्यादा बढऩे पर इससे कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी भी गल जाती है। समय रहते अगर मरीज ठीक न हो तो मौत भी हो सकती है। म्यूकॉर नामक फंगल होता है। जो शरीर में ज्यादातर गीली सतहों पर पाया जाता है।
किन मरीजों को खतरा ज्यादा है
म्यूक्रोमायकोसिस के मामले शुगर के मरीजों में मिलते रहते हैं, लेकिन अगर शुगर कंट्रोल में नहीं है और मरीज संक्रमित हो जाए तो खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है। इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है या कम होती है। जो शुगर के मरीजों में होता है। वहां, कोरोना से ठीक हुए मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है, इसलिए कोरोना से रिकवर हुए मरीज म्यूक्रोमायकोसिस का शिकार हो सकते हैं।
क्या करें प्री डायबिटिक संक्रमित यानि, जिनमें पहले शुगर नहीं रहा है, उन्हें और सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि उनके पास न तो ग्लूकोमीटर रहता है और न ही दवाएं । इसलिए इनमें स्टेरायड लेने पर तेजी से शुगर का स्तर बढ़ता है। इन लोगों को शुगर बढ़ते ही दवा शुरू करने की जरूरत है। संक्रमण खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक शुगर पर नजर रखने की जरूरत है। कोरोना होने पर पहले चार दिन हल्का बुखार आता है। पांचवे दिन तेज बुखार होता है। ऐसा देखा गया है इसलिए स्टेरायड पांचवे दिन शुरू करें और दसवें दिन बंद कर दें नार्मल सेलाइन से नेबुलाइजर करें नाक में नार्मल सेलाइन की कुछ बूंद डाल सकते हैं नाक में सरसों का तेल भी डाल सकते हैं आक्सीजन के साथ ध्यान रखें पानी न जाने पाए आक्सीजन के साथ लगने वाले पानी को उबाल कर हर दिन बदलते रहें पानी आक्सीजन के साथ न जाए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है डेक्सामेथासोन दे रहे हैं तो चार-चार मिली ग्राम दो बार में दें। यदि मिथाइल प्रिडसन सिलोन दे रहे हैं तो 16-16 मिली ग्राम दोबार में दें, लेकिन चार दिन सब बंद कर दें।