लखनऊ में विभिन्न राज्यों की प्रस्तुति के साथ देशज उत्सव का शुभारंभ 16 दिसंबर से, राज्यपाल करेंगी उद्घाटन

लोक कलाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए बनी सोनचिरैया संस्था के दस वर्ष पूरे होने पर लोक कलाओं का अमृत उत्सव देशज मनाया जाएगा। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया पार्क में 16 दिसंबर से तीन दिन तक लोक संस्कृति और कलाओं का मेला सजेगा।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 08:10 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 08:11 AM (IST)
लखनऊ में विभिन्न राज्यों की प्रस्तुति के साथ देशज उत्सव का शुभारंभ 16 दिसंबर से, राज्यपाल करेंगी उद्घाटन
16 दिसंबर को शाम चार बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल देशज उत्सव का उद्घाटन करेंगी।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लोक कलाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए बनी सोनचिरैया संस्था के दस वर्ष पूरे होने पर लोक कलाओं का अमृत उत्सव 'देशज' मनाया जाएगा। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया पार्क में 16 दिसंबर से तीन दिन तक लोक संस्कृति और कलाओं का मेला सजेगा। आयोजन में विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति का गुलदस्ता सजेगा। 16 दिसंबर को शाम चार बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल उत्सव का उद्घाटन करेंगी। इस अवसर पर लोक संस्कृति पर केंद्रित स्मारिका और किताब का भी विमोचन होगा। मंगलवार को सोनचिरैया संस्था की अध्यक्ष डा विद्या विंदु सिंह और सचिव लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने आयोजन के बारे में जानकारी दी। 

लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने बताया कि 16 दिसंबर को मथुरा के कलाकार संजय शर्मा के नेतृत्व में सामूहिक लोक प्रस्तुति के साथ तीन दिवसीय लोक उत्सव की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत होगी। पद्मश्री से अलंकृत राजस्थानी लोक कलाकार अनवर खान के सुर सजेंगे। वहीं, महाराष्ट्र की लोक नृत्य शैली लावणी का आनंद भी उठाने को मिलेगा। पुणे की लावणी कलाकार रेशमा व दल की प्रस्तुति होगी। 17 दिसंबर को गुरु बसंत के निर्देशन में ओडिशा राज्य के पारंपरिक नृत्य गोट्टिपुआ की प्रस्तुति देखने को मिलेगी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के लोकदल पाई डंडा/ राई फरवाही/ करमा चरकुला और धोबिया नृत्य प्रस्तुत करेंगे।

पंजाबी लोक के तहत प्रसिद्ध गायक जसबीर जस्सी की गायिकी के साथ दूसरी दिन की प्रस्तुतियों का समापन होगा। समापन समारोह 18 दिसंबर की सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत उन गीतों से होगी, जिन्हें ब्रिटिश राज ने प्रतिबंधित कर दिया था। गीतों के जरिए लोकगायिका मालिनी अवस्थी की जुबानी भारत की आजादी की कहानी 'मुक्तिगाथा' प्रस्तुत की जाएगी। अगली प्रस्तुति पद्मश्री से अलंकृत अनूप पांडेय के बस्तर बैंड की होगी। बस्तर बैंड में कोईतोर समाज, जिनमें लोक समाज के पारंपरिक एवं संस्कारों में प्रयुक्त वाद्य संगीत, सामूहिक आलाप गान से मंच सजेगा। लोक कलाकार अंकुर पठान के नेतृत्व में गुजरात के रास लोकनृत्य डांडिया के साथ 'देशज' का समापन होगा।

अमृत गीत प्रतियोगिताः सुर अमृत हैं और सुरों में देश की वंदना करता हुआ गीत अमृत गीत। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में सोन चिरैया द्वारा अमृत गीत प्रतियोगिता भी हो रही। न्यूनतम तीन मिनट व अधिकतम छह मिनट का एकल या सामूहिक अमृत गीत भेज सकते हैं। गीत गाते हुए वीडियो रिकार्डिंग ही स्वीकार की जाएगी, आडियो नहीं। प्रविष्टियां 14 दिसंबर तक info@sonchiraiya.org पर भेज सकते हैं। विजेताओं को आकर्षक पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जाएगा।

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