लखनऊ में बारिश ने खोली अस्पतालों की पोल, छाता लगाकर मरीज का इलाज कराने पर मजबूर दिखे तीमारदार

तेज बारिश और जलभराव का असर गुरुवार को अस्पतालों की ओपीडी पर भी रहा। दिन भर जारी भारी वर्षा के चलते 80 फीसद से अधिक मरीज ओपीडी तक नहीं पहुंच सके। सिविल अस्पताल से लेकर लोहिया लोकबंधु बलरापुर केजीएमयू व एसजीपीजीआइ परिसर में जलभराव हो गया।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 09:17 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 09:17 AM (IST)
लखनऊ में बारिश ने खोली अस्पतालों की पोल, छाता लगाकर मरीज का इलाज कराने पर मजबूर दिखे तीमारदार
सिविल अस्पताल से लेकर, लोहिया, लोकबंधु, बलरापुर, केजीएमयू व एसजीपीजीआइ परिसर में जलभराव हो गया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। तेज बारिश और जलभराव का असर गुरुवार को अस्पतालों की ओपीडी पर भी रहा। दिन भर जारी भारी वर्षा के चलते 80 फीसद से अधिक मरीज ओपीडी तक नहीं पहुंच सके। सिविल अस्पताल से लेकर, लोहिया, लोकबंधु, बलरापुर, केजीएमयू व एसजीपीजीआइ परिसर में जलभराव हो गया। लोहिया संस्थान की तो इमरजेंसी तक पानी भर गया। इससे मरीजों के इलाज में मुश्किल हुई। यहां छत से पानी टपकने के साथ सेंट्रल एसी से भी पानी गिरने लगा। स्थिति यह हो गई कि आक्सीजन पर इमरजेंसी में भर्ती एक मरीज के तीमारदार को छाता लगाना पड़ा। इसके बाद उसका इलाज शुरू हो सका। 

सिविल व लोकबंधु अस्पताल की ओपीडी तक पानी पहुंच गया। साथ ही अस्पताल परिसर के बाहर सड़क पर भी भारी जलजमाव रहा। इमरजेंसी आने-जाने वाले मरीजों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा। सिविल अस्पताल की ओपीडी में महज 20 फीसद मरीज ही ओपीडी में पहुंच सके। यहां के महिला सर्जिकल वार्ड दो की छत से पानी टपकने लगा। हाल में भी पानी भर गया। बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर पानी भरने से मरीजों को आवागमन में दिक्कतें हुईं। निदेशक व सीएमएस कार्यालय में भी पानी भर गया। ओल्ड ब्लाक में छतों से पानी टपकने लगा। ऐसे में तीमारदार बेड खिसका कर मरीज को बारिश के पानी से बचाने की जद्दोजहद करते रहे। डफरिन, केजीएमयू, महानगर भाऊराव देवरस अस्पताल में कई स्थानों पर पानी भर गया।

केजीएमयू के कई वार्डों तक पानी पहुंच जाने से मरीज परेशान रहे। लारी कार्डियोलाजी की ओपीडी के आस-पास तक भी घुटनों तक पानी भर गया। ट्रामा के सामने भी ऐसे ही हालात रहे। लोहिया संस्थान, संजय गांधी पीजीआइ और केजीएमयू में भी ओपीडी में दिखाने वाले मरीजों की संख्या बेहद कम रही। हालांकि, जो गंभीर मरीज थे वे किसी तरह अस्पतालों की इमरजेंसी में पहुंचे लेकिन वहां हालात देखकर उनके होश जरूर उड़ गए। कई अस्पतालों की इमरजेंसी में पानी भर गया था। 

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