दुधवा में पेड़ों के अवैध कटान का मामला: प्रारंभिक जांच में मिली गड़बड़ियां, अब एसआइटी को जिम्मेदारी
दुधवा व पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पेड़ों के अवैध कटान व वन्यजीवों का शिकार करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच में तमाम आरोप सही पाए गए हैं। अब इसकी विस्तृत पड़ताल तीन सदस्यीय एसआइटी करेगा। जल्द ही आयोग के सदस्य दोनों टाइगर रिजर्व में जाकर तथ्यों की पड़ताल करेंगे।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। दुधवा व पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पेड़ों के अवैध कटान व वन्यजीवों का शिकार करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच में तमाम आरोप सही पाए गए हैं। अब इसकी विस्तृत पड़ताल तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) करेगा। जल्द ही आयोग के सदस्य दोनों टाइगर रिजर्व में जाकर तथ्यों की पड़ताल करेंगे। इसके बाद एसआइटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
प्रदेश सरकार को दुधवा टाइगर रिजर्व व पीलीभीत टाइगर रिजर्व में लंबे अरसे से तैनात रेंजर्स, डिप्टी रेंजर्स सहित कुछ अन्य कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिली थीं। इन पर पेड़ों के अवैध कटान व वन्यजीवों के अवैध शिकार के आरोप हैं। कुछ तो ऐसे कर्मी हैं जिनके आवास से अवैध लकड़ी तक बरामद हो चुकी है। इसी को देखते हुए वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने जांच एसआइटी से कराने का निर्णय किया। इसमें प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष सुनील पांडेय को अध्यक्ष बनाया गया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव पवन कुमार शर्मा सदस्य सचिव व प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रशिक्षण केपी दुबे सदस्य बनाए गए हैं।
एसआइटी ने तथ्यों को एकत्र करने व उसकी प्रारंभिक पड़ताल के लिए मुख्य वन संरक्षक कैम्पा संजय श्रीवास्तव व नीरज कुमार की एक उप समिति बना दी थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट एसआइटी को दे दी है। सूत्रों के अनुसार उप समिति की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में तमाम गड़बडिय़ां सामने आई हैं। पेड़ों के अवैध कटान की जांच में स्थानीय कर्मियों की मिलीभगत के साक्ष्य मिले हैं। इस रिपोर्ट को पिछले दिनों एसआइटी की बैठक में रखा गया। अब एसआइटी के सदस्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रशिक्षण केपी दुबे मौके पर जाकर तथ्यों की पड़ताल करेंगे। वे अपने साथ उप समिति के सदस्यों को भी ले जाएंगे। उनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। सरकार इस मामले को लेकर बहुत सख्त है।