एनीमियां से बचना है तो कर‍िए सहजन का सेवन, लखनऊ में पोषण संवाद में व‍िशेषज्ञों ने दी खास जानकारी

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) और दैनिक जागरण की ओर से होटल बीबीडी फार्च्यून में शनिवार को पोषण संवाद पर टाक शो का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से साझा की जानकारी सुनी समस्याएं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 06:07 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 07:34 AM (IST)
एनीमियां से बचना है तो कर‍िए सहजन का सेवन, लखनऊ में पोषण संवाद में व‍िशेषज्ञों ने दी खास जानकारी
सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) और दैनिक जागरण की ओर से पोषण संवाद का आयोजन।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। पोषण तत्वों की कमी को सिर्फ दवाओं से दूर नहीं किया जा सकता। विभिन्न स्रोतों से मिलने वाले पोषक तत्वों को आहार के रूप में लेना बेहद जरूरी है। सिर्फ दाल से प्रोटीन और पत्तेदार सब्जियों से ही आयरन की कमी को नहीं दूर किया जा सकता। कुपोषण से बचने के लिए दाल, पत्तेदार सब्जियों के साथ ही विभिन्न प्रकार के फल आदि लेते रहना होगा। 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओ में एनीमिया है। अगर खाने में सहजन आदि को इस्तेमाल किया जाए तो एनीमिया की समस्या नहीं होगी। यह कहना था राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ कार्यक्रम (आरबीएसके) व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) एनएचएम स्कीम के जीएम डॉ वेद प्रकाश का।

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) और दैनिक जागरण की ओर से होटल बीबीडी फार्च्यून में शनिवार को पोषण संवाद पर टाक शो का आयोजन किया गया। विशेष वक्ता डॉ वेद प्रकाश ने कार्यक्रम में मौजूद स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा समय में किशोर- किशोरियों में खून की कमी आम बात है। पांच वर्ष तक के 63 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया है। स्कूल जाने वाले 32% लड़कों में, वहीं स्कूल जाने वाली 54% लड़कियों में एनीमिया है। 51 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। ऐसे में एनीमिया को दूर करने में पोषक आहार लेना बेहद जरूरी है। 

उन्होंने कहा कि कुपोषण के पीछे पेट में कीड़े होने की भी समस्या एक बड़ा कारण है। इससे बच्चा कमजोर होता चला जाता है। इस समस्या से निजात के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं। अभियान के तहत हर छह माह में एक बार और साल भर में दो बार दवा (अर्बेंडाजोल) वितरित की जाती हैं। ताकि पेट के कीड़ों से निजात मिल सके।

केजीएमयू की डाइटिशियन सुनीता सक्सेना ने महिलाओं में पोषण प्रबंधन पर बोलते हुए कहा कि पोषक आहार के लिए यह जरूरी नहीं कि बाजार में उपलब्ध महंगी चीजों को ही लें। घर के आसपास य घर में उपलब्ध (फोलेट विटामिन बी) को लें। महिलाएं पत्तेदार हरि सब्जियां, दही , दूध, अंडे आदि का सेवन करें। गोभी के पत्तों में कैल्शियम सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है, इसलिए गोपी के पत्तों का खाने में प्रयोग करें। आमतौर पर महिलाएं शाकाहारी भोजन लेना पसंद करती हैं। ऐसे में मछली आदि से परहेज रखती हैं तो पनीर ले सकती हैं। महिलाओं और बच्चों को आयोडीन, जिंक और फाइबर युक्त आहार नियमित लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आमतौर पर महिलाएं नाश्ते को अपनी रूटीन में शामिल नहीं करती हैं। जबकि सुबह का नाश्ता दिन भर के खानपान का आधार रहता है। नाश्ता न करने पर व्यक्ति डायबिटीज और मोटापे का भी शिकार हो सकता है।

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के राज्य नोडल अधिकारी ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पीएमएमवीवाई के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फ़ूड सिक्युरिटी एक्ट के तहत संचालित पीएमएमवीवाई पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं को पांच हज़ार रुपए पोषण आदि के लिए दिए जा रहे हैं। यह राशि तीन अलग-अलग किस्तों में दी जा रही है। अब तक 43 लाख महिलाओं के पोषण के लिए भारत सरकार द्वारा 16 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। एसजीपीजीआई की डाइटिशियन डॉ शिल्पी त्रिपाठी ने पोषण प्रबंधन-नवजात बच्चों व किशोर विषय पर बोलते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों के दो ही ( प्राकृतिक व जीवो से मिलने वाले) स्रोत से पोषक तत्व मिलते हैं। उन्होंने भोजन में सलाद को बेहद जरूरी बताया। साथी भरपूर मात्रा में पानी और फाइबर को लेने को कहा। साथ में चीनी, गुड़, शहद को सीमित मात्रा में लेने की नसीहत दी। उन्होंने मौसमी फल रोजाना दो से तीन लीटर पानी व 0-6 माह तक के बच्चे के लिए मां के दूध को ही सबसे अहम बताते हुए पोषण से जुड़े अन्य तमाम टिप्स दिए।

दैनिक जागरण के राज्य संपादक, उत्तर प्रदेश आशुतोष शुक्ल ने न्यूट्रीशनल बिहेवियर विषय पर कहा कि अगर कुपोषण व खानपान की कमी से होने वाली समस्याओं से महिलाओं को बचना है तो घर में सबसे बाद में खाने की आदत छोड़े। महिलाएं खाने को लेकर खुद को डस्टबिन न बनाए। मतलब बच्चों और पति की थाल में बचे हुए भोजन से काम चलाने की आदत को छोड़े। बच्चों पर खान-पान को लेकर अंकुश न लगाएं। वह जो खाते हैं उन्हें खाने दें, बशर्ते किसी चीज को आदत में न लाए। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आपके किचन में रखा मसालदान ही सबसे बड़ा दवाखाना है। अपने बच्चों को उनके दादा-दादी, नाना-नानी के कहे अनुसार भोजन आदि देना शुरू करें आपके बच्चे हमेशा स्वस्थ रहेंगे। उन्होंने कहा कि भूख से एक रोटी कम खाइए। पानी खूब पीजिए। सहजन व तुलसी की पत्तियां खाइए। चीनी की जगह गुड़ लीजिये। इस मौके पर सीएफएआर की ओर से लोकेश त्रिपाठी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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