Holi in Lucknow: कन्हैया घर चलो गुइयां आज खेले होरी,15 दिन तक न छूटे रंग...लखनऊ में सजी महफिल

लखनऊ के गोमतीनगर में लोकगायिका रंजना मिश्रा ने किया धमाल हर कोई होली के रंगों में डूबा। कन्हैया घर चलो गुइयां आज खेले होरी और रंग डारो रे रंग डारो गीतों ने होलिकोत्सव का रंग जमाया तो सभी होली के रंग से सराबोर हो उठे।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 28 Mar 2021 06:56 PM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 06:56 PM (IST)
Holi in Lucknow: कन्हैया घर चलो गुइयां आज खेले होरी,15 दिन तक न छूटे रंग...लखनऊ में सजी महफिल
लखनऊ के गोमतीनगर में लोकगायिका रंजना मिश्रा ने किया धमाल, हर कोई होली के रंगों में डूबा।

लखनऊ, जेएनएन। फागुन के महीने में प्रकृति ही नहीं हर किसी पर रंगों का खुमार चढ़ने लगता है। सृष्टि का कण-कण सराबोर होने को आतुर हो उठता है। हर कोई होली के रंगों में डूब जाना चाहता है। शायद ही कोई हो, जिसे रंगों के इस पर्व परहेज हो। हालांकि, ग्लोबलाइजेशन के चलते इस त्योहार में भी काफी बदलाव आए हैं। हफ्तों पहले जहां घरों में टेसू, पलाश के फूलों से रंग तैयार होने लगते थे। होली के मौके पर लोक गायिका रंजना मिश्रा ने गीतों के संग अपने अनुभव साझा किए।

15 दिन तक न छूटे रंग: 'कन्हैया घर चलो गुइयां आज खेले होरी' और 'रंग डारो रे रंग डारो', आया फागुन का मस्त महाल, होरी बैठी है घूंघट निकाल' कुछ इन पंक्तियों से लोकगायिका रंजना मिश्रा ने शनिवार को होलिकोत्सव का रंग जमाया तो सभी होली के रंग से सराबोर हो उठे। उनका कहना है कि होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है। होली पर गले मिलकर दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। गायिका विमला पंत ने मत मारो कान्हा काकरी तो यामिनी पांडेय ने मोरी चुनरी पर होरी आई कन्हैया गीत सुनाकर माहौल को होली के रंग से सराबोर कर दिया। रंजना मिश्रा ने बताया कि साल भर का नाज-नखरा, मान-मनौव्वल सब इस त्योहार के बहाने हो जाता है। मैं पहले होली खेलना पसंद नहीं करती थी पर कालोनी की महिलाएं जब जिद करके ले जाती थीं तो खूब होली खेलती थी। उस वक्त रंगों के बीच नाच-गाने में जो उल्लास और खुशी मिलती है, वह और कहीं नहीं। होली के दिन यदि कोई रंग न लगाए और शाम को सूना चेहरा देखो तो लगता है कि होली सूनी चली गई। इसलिए मैं भले ऊपर से नखरे दिखाऊं कि होली नहीं खेलूंगी पर मन ही मन यह भी चाहती थी कि लोग जबरदस्ती करें और रंग लगाएं। होली के दिन तो जिद और जबरदस्ती भी अच्छी लगती है। जौनपुर जिले में मेरा गांव है जहां मैंने बचपन वाली होली भी देखी है। उस वक्त महिलाओं का घर से बाहर जाना मना था। जब गांव के अलग-अलग टोले से लोग आते थे और मेरी मां पर बारी-बारी से रंग डालते थे। जब मैं लखनऊ शहर पहुंची तो लड़के-लड़कियों को साथ होली मनाते देखकर आश्चर्य भी हुआ और अच्छा भी लगा। अब होली में ही नहीं लोगों की सोच में भी बदलाव आया है।

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