Republic Day 2021: हिंदू राजा-नवाबों ने बनवाया लखनऊ का KGMU, अंग्रेजों ने रखीं थीं तीन शर्तें

115 बरस के केजीएमयू का इतिहास समृद्धता से भरा है। दुनिया भर में जॉर्ज‍ियंस के नाम से मशहूर यहां के डॉक्टरों की अलग ही धमक है। बात चाहें चिकित्सकीय दक्षता की हो या फिर जनमानस को संकट से उबारने की। इनके हौसले हमेशा बुलंद ही रहते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 12:22 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 12:22 PM (IST)
Republic Day 2021: हिंदू राजा-नवाबों ने बनवाया लखनऊ का KGMU, अंग्रेजों ने रखीं थीं तीन शर्तें
डॉक्टरों का पहला बैच ब्रिटिश आर्मी मेडिकल कोर में गया, अब विश्वभर में बज रहा चिकित्सकों का डंका।

लखनऊ, [संदीप पांडेय]। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी (केजीएमयू) के निर्माण में भारतीयों का पसीना बहा। सालों पूर्व मेडिकल के क्षेत्र में इतना बड़ा लक्ष्य साधने वाले हिंदू राजा व नवाब रहे, वहीं अंग्रेजों ने इसकी नींव पडऩे के लिए तीन शर्तें रखीं। इन्हेंं भी हिंदू राजा-नवाबों ने पूरा किया। आज यूनीवर्सिटी से निकले डॉक्टरों का दुनियाभर में डंका है। जॉर्ज‍ियंस एल्युमनाई एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी सचिव डॉ. सुधीर के मुताबिक केजीएमयू को हिंदू राजाओं व नवाबों ने मिलकर बनवाया था। लंबे मंथन के बाद 20 अक्टूबर 1905 को अयोध्या के महाराजा प्रताप नारायण सिंह, राजा जहांगीराबाद तसादुक ररूल खान ब्रिटिश गर्वनर जेम्स लॉ से मिले। दोनों राजाओं ने प्रदेश की जनता के लिए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की मांग की। इस पर ब्रिटिश सरकार ने तीन शर्तें रखीं। पहली मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए आठ लाख रुपये का खर्च भारतीय राजाओं को उठाना होगा। दूसरी भूमि का बंदोबस्त भी करना होगा और तीसरी रकम-जमीन देने के बाद पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण ब्रिटिश सरकार कराएगी।

ब्रिटिश आर्मी मेडिकल कोर में चला गया था पहला बैच

115 बरस के केजीएमयू का इतिहास समृद्धता से भरा है। दुनिया भर में जॉर्ज‍ियंस के नाम से मशहूर यहां के डॉक्टरों की अलग ही धमक है। बात, चाहें चिकित्सकीय दक्षता की हो या फिर जनमानस को संकट से उबारने की। इनके हौसले हमेशा बुलंद ही रहते हैं। खुद की जान को भी दांव पर लगाकर लोगों की जिंदगी बचाना इनका जुनून है। वक्त के हिसाब से खुद को ढालने में माहिर जॉर्ज‍ियंस का परिवार अब 30 हजार पार कर चुका है। डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक वर्ष 1905 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई। 1911 में इलाहाबाद यूनीवॢसटी से संबद्ध कर एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हुई। यहां पहले बैच में 31 छात्रों ने दाखिला लिया।

वर्ष 1916 में पहला बैच पास आउट हुआ। यह विश्व युद्ध का वक्त था। बड़ी तादाद में ब्रिटिश सैनिक घायल हो गए। ऐसे में ब्रिटिश हुकूमत सैनिकों के जीवन रक्षा को लेकर चिंतित थी। उन्हेंं दक्ष डॉक्टरों की आवश्यकता थी। ऐसे में सैनिकों के इलाज के लिए ब्रिटिश आर्मी मेडिकल कोर में केजीएमयू का पहला पूरा बैच चला गया। बड़ी तादाद में घायल सैनिकों का इलाज कर उनकी जान बचाई। पूरी दुनिया ने डॉक्टरों के जज्बे का लोहा माना। ऐसे में जॉॢजयंस की नींव ही संघर्षों से पड़ी है। एक मार्च 1921 को मेडिकल कॉलेज को लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध किया गया। वर्ष 2002 में मेडिकल कॉलेज को यूनीवर्सिटी में तब्दील कर दिया गया।

यह भी जानें

सात वर्ग किलोमीटर में फैला परिसर, चार संकाय हैं

यूनीवर्सिटी में 75 विभागों का गठन, 56 का सचांलन

4400 बेडों की क्षमता है, आधा दर्जन मेडिकल कॉलेज जुड़े

करीब सात नॄसग व एक पैरामेडिकल कॉलेज है संबद्ध

525 फैकल्टी के पद, 750 रेजीडेंट, 5000 स्थाई कर्मी

किस कोर्स में कितनी सीटें एमबीबीएस-250 बीडीएस-70 एमडी-एमएस-272 एमडीएस-43 एम-एमसीएच-56 एमएससी नॄसग-50 बीएससी नॄसग-100 एमफिल-08 बीएससी-आरटी-05 एमएचए-60

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