लखनऊ के नवयुग कन्‍या महाविद्यालय में हिंदी के नहीं मिल रहे विद्यार्थी, बंद किया कोर्स

नवयुग कन्‍या महाविद्यालय में स्नातक व परास्नातक के कोर्स संचालित हैं। महाविद्यालय प्रशासन की दलील है कि कई वर्ष से एमए हिंदी में आवेदनों की संख्या कम रही। बीते वर्ष व इस वर्ष हिंदी में आवेदनों की संख्या न के बराबर है। इसके चलते हिंदी विषय को समाप्त करना पड़ा।

By Mahendra PandeyEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 10:45 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 10:45 AM (IST)
लखनऊ के नवयुग कन्‍या महाविद्यालय में हिंदी के नहीं मिल रहे विद्यार्थी, बंद किया कोर्स
नवयुग कन्‍या महाविद्यालय से हटाया गया हिंदी पाठ्यक्रम

लखनऊ, जेएनएन। राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार काम कर रही है। विश्वविद्यालयों से लेकर प्राइमरी स्कूल तक हिंदी की महत्ता विद्यार्थियों की बताई जा रही है। मगर, नवयुग कन्या महाविद्यालय ने आर्थिक समस्या बता इसे कोर्स हटा दिया है। मतलब, अब इस महाविद्यालय में छात्राएं हिंदी विषय को नहीं पढ़ सकेंगी। महाविद्यालय में स्नातक व परास्नातक के विभिन्न कोर्स संचालित हैं। महाविद्यालय प्रशासन की दलील है कि कई वर्ष से एमए हिंदी में आवेदनों की संख्या कम रही। बीते वर्ष व इस वर्ष हिंदी में आवेदनों की संख्या न के बराबर है। इसके चलते हिंदी विषय को समाप्त करना पड़ा।

हिंदी को प्राथमिकता न मिलना दुखद

कहने को तो लोग हिंदी को अपनी मातृ भाषा कहते हैं, लेकिन युवा, जिन्हें हम देश का भविष्य कहकर भारी-भरकम जिम्मेदारी सौंप देते हैं, वो खुद हिंदी के महत्व को नकारता जा रहा है। उनके लिए हिंदी में बोलना अपने स्टेटस को कम करने जैसा है। यूं तो हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में लगभग सभी स्कूल, कॉलेजों में कोई ना कोई आयोजन किया जाता है, जिनमें भागीदारी निभाने वालों की संख्या नगण्य होती है, पर जब बोलचाल और पढ़ाई की बात आती है तो उनकी प्राथमिकता अंग्रेजी को ही जाती है। ऐसे में हिंदी जैसे विषय को महाविद्यालय से समाप्‍त किया जाना, हिंदी के प्रति युवाओं के रुझान पर सवाल खड़े कर रहा है। 

कोरोना काल में कई कोर्स और विषय कम किए गए हैं। हमने हिंदी विषय को चालू रखने के लिए हर संभव प्रयास किए। सरकार से तो कोई ग्रांट मिलती नहीं है। खर्च निकालना मुश्किल हो जाता है। यह भी सोचना होगा कि विद्यार्थियों का हिंदी से रुझान क्यों नहीं है? दाखिले की स्थिति ठीक रहेगी तो कोर्स संचालित किया जा सकता है।

- डा सृष्टि श्रीवास्तव, प्राचार्या, नवयुग कन्या महाविद्यालय

दो साल पहले ही एमए में हिंदी को समाप्त किया जा चुका है। विद्यार्थी ही नहीं मिल रहे हैं। हिंदी को चालू रखने के लिए हम घर से पैसा तो लगाएंगे नहीं, सरकार से पैसा दिलाइए, हिंदी पढ़ाएंगे।

- विजय दयाल, प्रबंधक, नवयुग कन्या महाविद्यालय

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