High Court Update : डकैती में पांच या ज्यादा लोगों की संलिप्तता जरूरी

High Court स्पेशल कोर्ट से केवल तीन लोगों को डकैती के जुर्म में सुनाई गई सजा रद रिहाई का आदेश।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 11:17 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 06:10 AM (IST)
High Court Update : डकैती में पांच या ज्यादा लोगों की संलिप्तता जरूरी
High Court Update : डकैती में पांच या ज्यादा लोगों की संलिप्तता जरूरी

लखनऊ, जेएनएन। High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि डकैती के अपराध में कम से कम पांच लोग शामिल होने चाहिए। इस अपराध में सजा देने के लिए जरूरी है कि वारदात में पांच या उससे ज्यादा लोगों की संलिप्तता साबित की जाए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो डकैती के अपराध नहीं बनता। हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट (डकैती) कानपुर देहात की ओर से तीन अभियुक्तों की डकैती की धाराओं में सुनाई गई सजा रद करते हुए उन्हें बरी करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट का कहना है कि इस मामले में अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि घटना में पांच या उससे ज्यादा लोग शामिल थे। डकैती में आरोपित बलबीर और अन्य की आपराधिक अपील पर न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी ने यह फैसला सुनाया है। मालूम हो कि कानपुर देहात के थाना काकवान के गांव बजरा मजरा बैकुंठिया में 26-27 जून 1981 की रात राजकुमार, ओछेलाल और गंगाराम के घरों में डकैती पड़ी। राजकुमार ने वारदात का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके मुताबिक छह की संख्या में डकैत रात में उसके मकान में घुसे। इनमें से चार आरोपित घर के भीतर आ गए। फायरिंग भी की गई। तीन आरोपितों को शिकायतकर्ता ने शिनाख्त परेड में पहचानने का दावा किया।

स्पेशल कोर्ट ने चश्मदीद गवाह के बयान के आधार पर बलबीर और लालाराम को पांच-पांच वर्ष और मोहलपाल उर्फ चकेरी ने चूंकि फायरिंग की थी, इसलिए उसे सात वर्ष की सजा सुनाई थी। बचाव पक्ष का कहना था कि डकैती का अपराध साबित करने के लिए घटना में पांच या उससे ज्यादा लोगों की संलिप्तता साबित होना जरूरी है। इस मामले में अधीनस्थ न्यायालय ने यह साबित नहीं किया है कि इन तीन के अलावा दो या तीन अन्य लोग भी घटना में शामिल थे। कोर्ट ने दलील को स्वीकार करते हुए तीनों अभियुक्तों को सुनाई गई सजा रद कर दी।

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