लखनऊ में कोविड के इलाज में हो रहे कुप्रबंधन पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से तलब किया जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी लखनऊ में कोविड मरीजों के इलाज में कुप्रबंधन पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राजधानी में कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज का बुरा हाल है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 11:56 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 12:04 AM (IST)
लखनऊ में कोविड के इलाज में हो रहे कुप्रबंधन पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से तलब किया जवाब
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखनऊ में कोविड मरीजों के इलाज में कुप्रबंधन पर सरकार से जवाब मांगा है।

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी लखनऊ में कोविड मरीजों के इलाज में कुप्रबंधन पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने हरि प्रसाद गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर पारित किया। राज्य सरकार से 18 मई तक जवाब तक तलब किया है।

याची के अधिवक्ता डॉ. वीके सिंह ने यह भी मांग की कि राज्य सरकार हाई कोर्ट प्रशासन की अनुमति से गोमतीनगर में नवनिर्मित हाई कोर्ट में कोविड पॉजिटिव अधिवक्ताओं, उनके परिजन, न्यायिक अफसरों व स्टाफ के इलाज के लिए सुविधा संपन्न मेकशिफ्ट कोविड अस्पताल बनाए। सुनवायी के दौरान पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एचपी श्रीवास्तव की उस दलील को दरकिनार कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इसी प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान ले रखा है, अत: याची को उसी याचिका में अर्जी डालकर अपनी बात कहनी चाहिए।

लखनऊ खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमने सभी पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुन लिया है और प्रस्तुत दस्तावेजों को भी पढ़ लिया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने विपक्षीगण के अधिवक्ताओं को प्रस्तुत याचिका पर निर्देश प्राप्त करने का आदेश जारी कर दिया। नवनिर्मित परिसर में मेकशिफ्ट कोविड अस्पताल बनाने के बावत हाई कोर्ट प्रशासन के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा को भी समुचित निर्देश प्राप्त करने का आदेश कोर्ट ने दिया है।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राजधानी में कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज का बुरा हाल है। इलाज के लिए विशेष रूप से चिह्नित अस्पतालोंं में बेड नहीं होने की बात कही जा रही है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में लूट मची है। अस्पतालों में दाखिल मरीजों के लिए आक्सीजन तक नहीं मिल पा रही है। आइसोलेसन में अपना इलाज कर रहे संक्रमित मरीजों को भी आक्सीजन नहीं मिल पा रही है। याचिका में प्रशासनिक अफसरों पर असंवेदनशील होने का भी आरोप लगाया गया है।

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