Amrapali Scam: निदेशक अजय कुमार पर हाई कोर्ट ने लगाया 50 हजार का हर्जाना

Amrapali Scam कोर्ट ने 31 दिसंबर तक याची को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। किंतु याची ने आज तक आत्मसमर्पण नहीं किया है। यही नहीं कोर्ट ने पाया कि एक क्लर्क से इस आशय की भी रिपोर्ट लगवा ली गई।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 07:05 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 07:05 AM (IST)
Amrapali Scam: निदेशक अजय कुमार पर हाई कोर्ट ने लगाया 50 हजार का हर्जाना
बेंच हंटिंग के प्रयास पर कोर्ट का सख्त रुख।

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने तथ्यों को छिपाकर प्रार्थना पत्र दाखिल करने व बेंच हंटिंग का प्रयास करने पर दिल्ली के मंडोली जिला कारागार में निरुद्ध रहे आम्रपाली ग्रुप के एक निदेशक अजय कुमार की अंतरिम जमानत का समय बढ़ाने की मांग खारिज कर उस पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है।  अपने आदेश में कोर्ट ने मंडोली कारागार के डॉक्टरों और जेल अधीक्षक की भी खिंचाई की कहा कि ऐसा लगता है कि इस जेल के डॉक्टर और जेल अधीक्षक आम्रपाली घोटाले के अभियुक्तों को मेडिकल सॢटफिकेट देने में काफी उदार हैं। दरअसल आम्रपाली घोटाला के एक अन्य अभियुक्त अनिल शर्मा को उक्त जेल के चिकित्सकों के मेडिकल रिपोर्ट पर 8 दिसंबर 2020 को अंतरिम जमानत मिली थी लेकिन कोर्ट के आदेश पर एम्स के डॉक्टरों की टीम ने जब उसकी जांच की तो उसे कोई गंभीर बीमारी नहीं थी।

यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अजय कुमार के प्रार्थना पत्र पर पारित किया। उक्त प्रार्थना पत्र में याची को मिली अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाने की मांग की गई थी। जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने उक्त आदेश पारित किया था। बाद में 3 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने याची को 31 दिसंबर 2020 तक सरेंडर करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पाया कि याची के अधिवक्ता वर्तमान प्रार्थना पत्र को जस्टिस एआर मसूदी की बेंच में सूचीबद्ध कराना चाहते थे।

कोर्ट ने इस पर कहा कि पूरा प्रयास इस बात के लिए था कि वर्तमान प्रार्थना पत्र एक विशेष बेंच के समक्ष न सूचीबद्ध होकर उसी बेंच के समक्ष जाए जिसने 18 सितंबर का आदेश पारित किया था। प्रार्थना पत्र में उस आदेश को भी नहीं लगाया गया था जिसमें कोर्ट ने 31 दिसंबर तक याची को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। किंतु याची ने आज तक आत्मसमर्पण नहीं किया है। यही नहीं कोर्ट ने पाया कि एक क्लर्क से इस आशय की भी रिपोर्ट लगवा ली गई कि मामला वर्तमान बेंच में गलत तरीके से सूचीबद्ध हो गया है। 

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