CAA-NRC Violence Case of Lucknow: हाईकोर्ट ने मौलाना सैयद सैफ अब्बास के खिलाफ उत्पीडऩात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्थानीय शिया मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी के खिलाफ लोक संपत्ति को क्षति पहुंचाने के आरोपों के तहत 67 लाख रुपये की जारी वसूली नोटिस के लिए उत्पीडऩात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्थानीय शिया मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी के खिलाफ लोक संपत्ति को क्षति पहुंचाने के आरोपों के तहत 67 लाख रुपये की जारी वसूली नोटिस के लिए उत्पीडऩात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। साथ ही इस मामले को इसी प्रकार के अन्य मामलों के साथ जनवरी में सूचीबद्ध करने को कहा है।
यह आदेश जस्टिस आलोक सिंह व जस्टिस के एस पवार की बेंच ने नकवी की रिट याचिका दिया। याची ने 3 मार्च व 16 जून 2020 के दो आदेशों को चूनौती देकर कहा था कि रिकवरी आदेश बिना अधिकार के पारित किया गया है। यह भी कहा गया था कि इसी प्रकार के अन्य मामले में याची को अंतरिम राहत दी गयी थी तो उसे भी अंतरिम राहत प्रदान की जाये।
बता दें कि राजधानी लखनऊ में बीते साल सीएए एनआरसी (नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) के प्रदर्शन में चार थाना क्षेत्रों में हिंसा हुई थी। इस मामले में लखनऊ कमिश्नरेट ने शिया धर्मगुरु मौलाना अब्बास समेत 14 अन्य आरोपियों पर 5-5 हजार रुपए का इनाम तय किया था। इनमें से आठ आरोपियों को वांटेड घोषित किया गया था। पुराने लखनऊ चौक, हसनगंज आदि क्षेत्र व आरोपियों के घर के बाहर पोस्टर चस्पा भी किए गए थे।
दिसंबर 2019 में हुई थी लखनऊ में हिंसा
बीते वर्ष 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में हिंसक घटनाएं हुईं थी। लखनऊ में गत वर्ष 19 दिसंबर को चार थाना क्षेत्रों में सीसीए/एनआरसी के विरोध में उग्र प्रदर्शन हुआ था। कानून के विरोध के आड़ में साजिश के तहत उपद्रवियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। जिसमें पथराव और गोलीबारी में कई लोग घायल भी हो गए थे। प्रदर्शन में परिवर्तन चौक पर पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई थी। इसके अलावा हुसैनाबाद पुलिस चौकी में भी उपद्रवियों ने आगजनी की थी। इस मामले में हजरतगंज, कैसरबाग, ठाकुरगंज, हसनगंज व चौक थाने में दर्जन भर से ज्यादा एफआईआर भी दर्ज की गई थीं।