हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा- COVID की दूसरी लहर में मरीजों के लिए क्यों नहीं की गई दवा-खाना की व्यवस्था
हाई कोर्ट ने ड्यूटी के बाद डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को होटल या किसी गेस्ट हाउस में न ठहराने के कारण इनके घरवालों में संक्रमण फैलने की आंशकाओं पर संज्ञान लेकर सरकारी वकील को राज्य सरकार से इस संबध में दिशा-निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोविड संक्रमण की पिछली लहर के दौरान होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीजों को दवाइयां और भोजन उपलब्ध कराया जाता था तो इस बार की तेज लहर के दौरान ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने ड्यूटी के बाद डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को होटल या किसी गेस्ट हाउस में न ठहराने के कारण इनके घरवालों में संक्रमण फैलने की आंशकाओं पर भी संज्ञान लेकर सरकारी वकील को राज्य सरकार से इस संबध में समुचित दिशा-निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 मई को नियत की है।
यह आदेश जस्टिस राजन राय व जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने एचपी गुप्ता की ओर से अधिवक्ता डॉ. वीके सिंह द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका पर दिया है। हाई कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेसिंग से सुनवाई की। कोर्ट ने 18 से 44 आयु वर्ग के लेागों में टीकाकरण के लिए वैक्सीन की कमी के आरोपों पर सरकारी वकील को राज्य सरकार से समुचित निर्देश प्राप्त कर अवगत कराने को कहा है।
हाई कोर्ट प्रशासन की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव मेहरात्रा से कहा कि वह समुचित स्तर से निर्देश प्राप्त कर अगली सुनवाई पर बताएं कि क्या हाई कोर्ट में अस्थायी कोविड अस्पताल बनाया जा सकता है। साथ ही अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एचपी श्रीवास्तव से सभी बिंदुओं पर राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त कर 21 मई को पेश करने का आदेश दिया है।
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