Success story: लॉकडाउन में किया हुनर का इस्तेमाल, बन गईं 30 लाख रुपये की नर्सरी की मालकिन
40 महिलाओं ने खुद के खेत में तैयार किए पांच लाख पौधे। मनरेगा योजना के तहत ग्राम्य विकास विभाग इन पौधों को खरीदेगा।
गोंडा, (वरुण यादव)। लॉकडाउन ने जहां बहुतों को बेरोजगार किया, वहीं गोंडा, उप्र के विभिन्न गांवों में रहने वाली 40 महिलाओं के समूह ने इसे अवसर मान लिया। अपनी मेहनत के दम पर छोटे से खेत में इन्होंने सफलता की कहानी लिख दी। इस समूह ने करीब पांच लाख पौधों की नर्सरी तैयार की है, जिसकी कीमत लगभग 30 लाख है। ग्राम्य विकास विभाग मनरेगा योजना के तहत पौधरोपण कराने के लिए जल्द ही इन पौधों को खरीदने जा रहा है।
जरूरतमंद परिवारों की इन महिलाओं में से अनेक मजदूरी किया करती थीं। स्वावलंबी बनने की चाह में इन्होंने समूह बनाया। लॉकडाउन से पहले इन्होंने नर्सरी लगाने का प्रशिक्षण हासिल किया था। फरवरी में छोटे-छोटे खेतों में विभिन्न पौधे के बीज डाले, लेकिन तब नर्सरी तैयार कर पाने में संशय था। दरअसल, समस्या छुट्टा पशुओं से इसकी हिफाजत को लेकर थी। वक्त ने यह दिक्कत खुद-ब-खुद दूर कर दी। जब तक बीज में अंकुर फूटे तब तक लॉकडाउन लग गया था। अब जो महिलाएं समूह के तहत सिलाई-कढ़ाई आदि कामों में जुटी थीं, वो एकदम खाली हो गईं। ऐसे में उन्होंने पूरी लगन से दिन-रात नर्सरी की रखवाली की। इनकी सामूहिक मेहनत से मनकापुर, छपिया, हलधरमऊ और इटियाथोक में 10 नर्सरी लहलहा रही हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक नीलांबुज कुमार ने बताया कि नर्सरी में साखू, सहजन, सागौन, आम व अमरूद के पौधे उगाए गए हैं। इनसेट मजदूरी छोड़ी, अब खुद का काम इटियाथोक बिनहुनी गांव की अनीता देवी ने बताया कि पहले घर चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी। दो वर्ष पहले स्वयं सहायता समूह बनाया और धीरे-धीरे स्वरोजगार के तरफ कदम बढ़ाए। पहले लोग ताने मारते थे लेकिन, जब कमाई होने लगी तो वही लोग हौसला बढ़ाने लगे। उन्होंने बताया कि घर के पास खाली जमीन पर फरवरी में बीज डाले थे। लॉकडाउन में घर रहने के कारण बेसहारा जानवरों से नर्सरी बचा सकी। सरोज देवी और हलधरमऊ की विनीता पाल की सफलता की कहानी भी ऐसी ही है।
सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अच्छी नर्सरी तैयार की है। इनका प्रयास प्रेरक है। ये सभी पौधे खरीदकर मनरेगा के तहत नदियों व तालाबों के किनारे रोपे जाएंगे।