COVID-19 Situation in Lucknow : लखनऊ में कब्र खोदने वाले काेरोना योद्धा बाबू को नहीं मिला इलाज, मौत
लखनऊ में सुबह से शाम तक इसी तरह कोविड 19 संक्रमित शवों को ठिकाना देने वाले राजू खुद कब संक्रमित हो गए पता ही नहीं चला। पता चला तो बहुत देर हो गई थी इलाज भी नहीं मिल पाया और बुधवार की शाम निधन हो गया।
लखनऊ, जेएनएन। बाबू एक संक्रमित आ रहा है, कब्र खोदना है, जी भाई, फोन कटा कि दूसरा फोन बजा बाबू एक संक्रमित शव आ रहा है गड्ढ़ा 10 फीट खोदा जाएगा, जी भाई। सुबह से शाम तक इसी तरह संक्रमित शवों को ठिकाना देने वाले राजू खुद कब संक्रमित हो गए पता ही नहीं चला। पता चला तो बहुत देर हो गई थी, इलाज भी नहीं मिल पाया और बुधवार की शाम निधन हो गया।
एक महीने में 20 - 25 शवों के लिए कब्र खोदने वाले राजू संक्रमण काल में हर दिन 10 से 15 शवों के लिए गड्ढे खोदते थे। इसी के चलते दाम भी 500 से बढ़ाकर 800 रुपये कर दिया गया था। सामान्यत: साढ़े पांच फीट गहरी खोदी जाने वाली कब्रों की गहराई भी बढ़ाकर 10 फीट कर दी गई है। इसके पीछे मंशा है कि संक्रमण फैलने से रोका जा सकते। डालीगंज स्थित कब्रिस्तान में सामान्य दिनों में एक दिन में एक शव आता है, लेकिन संक्रमण काल में यह संख्या छह गुना हो गई है। डालीगंज कब्रिस्तान के प्रभारी उस्मान भाई ने बताया कि संक्रमित शव यदि अस्पताल से आता है तो पता चलता है, लेकिन घर में इंतकाल होने पर जानकारी नही हो पाती है। यही वजह है कि बाबू की जांच हुई तो संक्रमण की पुष्टि हुई, इलाज नहीं मिल सका और मृत्यु हो गई। कब्रिस्तान के उप सदर जावेद खान व सचिव मो.सुफियान के निर्देश पर 800 रुपये कब्र की खोदाई की नई दर लिख दी गई है। मनमानी को रोकने के लिए ऐसा किया गया है। वहीं शहर में ऐशबाग, निशातगंज, तालकटोरा व माल एवेन्यू व आलमबाग समेत शहर के हर कब्रिस्तान में संक्रमण काल में संख्या बढ़ गई है।