राज्यपाल आनंदीबेन ने कहा, कोरोना ने समझाया पोषक तत्वों का महत्व

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 32वें स्थापना दिवस पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मोटे अनाज प्रतिरक्षा एवं पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने की संभावनाएं एवं अवसर विषय पर विचार रखे।

By Yash DixitEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 01:10 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 01:10 PM (IST)
राज्यपाल आनंदीबेन ने कहा, कोरोना ने समझाया पोषक तत्वों का महत्व
विदेशों में भी मोटे अनाज की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।

लखनऊ, जेएनएन। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कोरोना महामारी काल में लोग अपने स्वास्थ्य और खान-पान के प्रति अत्यधिक जागरूक हुए हैं। इम्युनिटी बढ़ाने वाले आहार का सेवन अधिक करने लगे हैं। लोगों को पोषक तत्वों का महत्व समझ में आया है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज में फाइबर व अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं। हमारे पारंपरिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामग्री भी कोरोना काल में उपयोगी सिद्ध हुई है।

सोमवार को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के 32वें स्थापना दिवस पर 'मोटे अनाज : प्रतिरक्षा एवं पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने की संभावनाएं एवं अवसर' विषयक वेबिनार में राज्यपाल ने कहा कि भारतवासियों को कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत इसलिये पड़ी, क्योंकि हमने ज्वार, बाजरा, रागी, संवा व कोदों जैसे पारंपरिक अनाज से दूरी बना ली थी। इनके स्थान पर गेहूं-चावल का अधिक प्रयोग करने लगे। उन्होंने कहा कि यही मोटा अनाज खाकर हमारे पूर्वज लंबे समय तक स्वस्थ व जीवित रहे। आज दुनिया मोटे अनाज की ओर वापस लौट रही है। विदेशों में भी मोटे अनाज की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।

राज्यपाल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनकी मांग बढऩे से अब खाद्य और कृषि संगठन ने वर्ष 2023 को अंतराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित कर दिया है। अब एक ऐसी नई हरित क्रांति की आवश्यकता है, जिससे मोटे अनाज की पैदावार में वृद्धि हो। इससे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, भू-जल ह्रास, स्वास्थ्य और खाद्यान्न संकट जैसी समस्याओं से भी निपटा जा सकता है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बुंदेलखंड व दक्षिण-पश्चिम का मैदानी क्षेत्र मोटे अनाजों की फसलों की खेती के लिए उपयुक्त है। वेबिनार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, कैप्टन विकास गुप्ता, डा.तिलक राज शर्मा, महानिदेशक व कुलपति डा.बिजेंद्र सि‍ंह, डा.विलास ए टोनापी तथा कृषि निदेशक डा.वीके सिंह सहित वैज्ञानिक तथा छात्र-छात्राएं जुड़े थे।

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