अंबेडकरनगर में मिट्टी की जगह रेत डालकर बनाया जा रहा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, निर्माण इकाइयों से मांगा गया 17 करोड़ का जुर्माना

अंबेडकरनगर के आलापुर तहसील क्षेत्र के 18 गांवों में चल रहा गोरखपुर लिकं एक्सप्रेस वे का निर्माण। मानकों के अनुसार एक्सप्रेस-वे की पटाई में मात्र 10 फीसद बालू और 90 फीसद मिट्टी का प्रयोग होना चाहिए लेकिन तेजी दिखाने के चक्कर में इसका उल्टा हो रहा है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 05:03 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 05:03 PM (IST)
अंबेडकरनगर में मिट्टी की जगह रेत डालकर बनाया जा रहा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, निर्माण इकाइयों से मांगा गया 17 करोड़ का जुर्माना
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

अंबेडकरनगर, जेएनएन। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पटाई के नाम पर मिट्टी की जगह बड़े पैमाने पर सफेद रेत डाली जा रही है। इससे भारी दबाव पड़ते ही एक्सप्रेस-वे के धंसने की आशंका है। यह हाल तब है जब कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कम्हरिया घाट तक हवाई निरीक्षण कर इसका निर्माण शत-प्रतिशत गुणवत्ता के साथ कराने का निर्देश दिया था। 

आलापुर तहसील क्षेत्र के कम्हरिया घाट सहित 18 राजस्व गांवों से होकर गुजर रहे एक्सप्रेस-वे का निर्माण तेजी से चल रहा है। घाघरा नदी पर पुल का निर्माण भी प्रगति पर है। वहीं सड़क के लिए मिट्टी पटाई का कार्य चल रहा है। मिट्टी की आपूर्ति में कार्यदायी संस्थाओं की मनमानी काफी पहले सामने आ चुकी है। खेत-खलिहान से लेकर स्कूल और खेल मैदान तक को खोद डाला। इसके बाद भी जरूरत पूरी न होने पर घाघरा नदी की तलहटी को खोखला कर मिट्टी की जगह सफेद रेत डाला जा रहा है। सरकारी दस्तावेज खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक निर्माण एजेंसी एपको इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने एक लाख 55 हजार 600 घन मीटर तथा दिलीप बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड ने चार लाख 50 हजार 500 घन मीटर सफेद बालू का अवैध खनन किया है। इसके लिए दोनों निर्माण इकाइयों से 17 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा गया है।

मानकों के अनुसार एक्सप्रेस-वे की पटाई में मात्र 10 फीसद बालू और 90 फीसद मिट्टी का प्रयोग होना चाहिए लेकिन तेजी दिखाने के चक्कर में इसका उल्टा हो रहा है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में पड़ी बालू बाद में पानी का संपर्क पाते ही धीरे-धीरे नीचे खिसक जाएगी। इससे मालवाहक वाहनों का ज्यादा दबाव पड़ते ही सड़क धंस सकती है। फौरी तौर पर पटाई के दौरान बालू का क्षरण रोकने के लिए मिट्टी का चौड़ा किनारा बनाया जा रहा है। बाद में ऊपर से मिट्टी डालकर इसे ढंक दिया जा रहा है। वहीं एसडीएम धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शिकायत के बाद शासन को लिखा पढ़ी की जाएगी।

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