यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बड़ी खुशखबरी, असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में पीएचडी अब 2023 से अनिवार्य

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में पीएचडी अनिवार्य करने की समय सीमा दो वर्ष बढ़ा दिया है। अब यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में आसानी से शामिल हो सकेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 11:06 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 08:31 AM (IST)
यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बड़ी खुशखबरी, असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में पीएचडी अब 2023 से अनिवार्य
उत्तर प्रदेश के यूजीसी नेट उत्तीर्ण हजारों अभ्यर्थियों को खुश करने वाली खबर है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के यूजीसी नेट उत्तीर्ण हजारों अभ्यर्थियों को खुश करने वाली खबर है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में पीएचडी अनिवार्य करने की समय सीमा दो वर्ष बढ़ा दिया है। अब यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में आसानी से शामिल हो सकेंगे।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2018 में अधिसूचना जारी करके आदेश दिया था कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों के विभागों में सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) भर्ती के लिए पीएचडी उपाधि की अनिवार्यता एक जुलाई, 2021 से लागू होगी। इस आदेश की वजह से होने वाली शिक्षक भर्तियों में यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी शामिल नहीं हो पा रहे थे, केवल पीएचडी उपाधि वाले ही दावेदार रहे हैं। यूजीसी ने मंगलवार को 2018 की अधिसूचना में संशोधन कर दिया है, इसमें कहा गया है कि अब 01 जुलाई, 2023 से किसी भी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पीएचडी उपाधि अनिवार्य होगी।

इस आदेश से जुलाई 2023 के पहले होने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में यूजीसी नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार, ये आदेश विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा का स्तर बनाए रखने के लिए संशोधित अधिसूचना 2021 के तहत है।

असल में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से शिक्षा संस्थान भी प्रभावित रहे हैं, भर्ती में पीएचडी अनिवार्य होने से अपेक्षित अभ्यर्थी न मिलने का खतरा भी रहा है। साथ ही प्रतियोगियों का एक वर्ग इस आदेश से परेशान था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अब पीएचडी की अनिवार्यता 01, जुलाई 2023 तक बढ़ाकर संस्थान व प्रतियोगियों दोनों को राहत दी है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले दिनों अभ्यर्थियों की मांग पर राहत देने का भरोसा दिया था। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मंगलवार को जारी अधिसूचना में यह साफ किया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर की सीधी भर्ती में पीएचडी की अनिवार्यता से सिर्फ अगले दो वर्षों के लिए राहत दी जा रही है। भले ही अधिसूचना 12 अक्टूबर को जारी हुई है, लेकिन यह नियम उन पदों पर भी लागू होगा जिनकी भर्ती प्रक्रिया जुलाई 2021 में शुरू हो चुकी है। एक जुलाई, 2023 के बाद पुराना नियम फिर से प्रभावी हो जाएगा। 

यूजीसी का यह फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि फिलहाल सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की मुहिम छिड़ी हुई है। अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ही शिक्षकों के करीब 6,300 पद खाली है। इनमें आधे से ज्यादा पद असिस्टेंट प्रोफेसर के हैं। बता दें कि वर्ष 2018 से पहले भी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं थी। बाद में पीएचडी को अनिवार्य कर दिया गया।

chat bot
आपका साथी