Ramadan 2021: गरीब और लाचारों को ईद से पहले दें जकात, इबादत में बीता माह-ए-रमजान का 22वां रोजा

इमाम ईदगाह माैलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि तीसरे अशरे में ही हम फितरा और ज़कात भी निकालते हैं जिससे ईद की नमाज़ गरीब लोग भी खुशी से पढ़ सकें। रमजान में हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़कर मिलता है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 03:12 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 03:12 PM (IST)
Ramadan 2021: गरीब और लाचारों को ईद से पहले दें जकात, इबादत में बीता माह-ए-रमजान का 22वां रोजा
लखनऊ में नमाज के साथ घरों में ही रोजेदारों ने इबादत कर संक्रमण से मुक्ति की दुआ मांगी।

लखनऊ, जेएनएन। अल्लाह की रहमत के माह-ए-रमजान में एक ओर जहां घरों में इबादत का दौर जारी है तो दूसरी ओर सभी पर अल्लाह की बरकत बरसे, इसकी दुआ भी रोजेदार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते रोजे के 22 वें दिन बुधवार को भी रोजेदारों ने घरों में ही नमाज पढ़ी। नमाज के साथ घरों में ही रोजेदारों ने इबादत कर संक्रमण से मुक्ति की दुआ मांगी। इमाम ईदगाह माैलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि  तीसरे अशरे में ही हम फितरा और ज़कात भी निकालते हैं, जिससे ईद की नमाज़ गरीब लोग भी खुशी से पढ़ सकें। रमजान में हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़कर मिलता है। अलविदा की नमाज सात मई को होगी। मौलाना ने मस्जिद या ईदगाह में नमाज़ न पढ़ने और घरों में ही नमाज पढ़ने की अपील की है। मौलाना कल्बे जवाद ने  ईद पर कुछ हिदायतें बरतने की गुजारिश भी की है। उनका कहना है कि सभी लोग संक्रमण को देखते हुए घर में ही नमाज पढ़े। ईद पर भी एहतियात बरते। शहर-ए-काजी मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने कहा ज़कात की तकसीम के कानून खुद अल्लाह ने तय कर दिए हैं। इसलिए ये जरूरी है कि हम ज़कात देने से पहले परख लें कि जिसे हम जकात दे रहे हैं वह कुरआन और हदीस की रोशनी में इसके पात्र हैं या नहीं। दरअसल ज़कात का मकसद ही है कि गरीब और लाचार लोगों की जरूरत को पूरा किया जाए। ईद के पहले देना जरूरी है।

जकात कौन दे सकता है जो बालिग हों। जो कमाने के लायक हों। जिस मुस्लिम मर्द या औरत के पास 52.50 तोले चांदी या 7.50 तोला सोना, या सोना चांदी मिलाकर कोई एक हो जाए या इतनी कीमत की धनराशि या संपत्ति हो या कारोबार हो। कितनी देनी चाहिए जकात कुल संपत्ति का 2.5 फीसद जकात देना चाहिए। इनको दें जकात गरीब रिश्तेदार। किसी भी धर्म का गरीब पड़ोसी । गरीब दोस्त। गरीब और मजबूर, बेसहारा व मुसाफिर। फकीर। यतीम। मदरसों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को। ज़कात किसको नहीं दे सकते पिता माता पत्नी बच्चे दादा-दादी नाना- नानी

इफ्तारी-गुरुवार की शाम

सुन्नी-6:44 बजे

शिया-6:54

सहरी शुक्रवार की सुबह

सुन्नी-3:52 बजे

शिया-3:44 बजे

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