प्राइमरी स्कूलों के टीचर बन गए GIC प्रिंसिपल, PCS 2018 में भर्ती को लेकर UPPSC की दलील सुप्रीम कोर्ट में खारिज

यूपीपीएससी की पीसीएस 2018 की भर्ती में ऐसे शिक्षक भी प्रधानाचार्य पद पर चयनित हो गए जो प्राइमरी में अध्यापक थे। यही कारण है कि आयोग की सारी दलीलें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दीं। अब आयोग को नए सिरे से प्रधानाचार्य पद की भर्ती करानी होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 06:17 PM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 06:18 PM (IST)
प्राइमरी स्कूलों के टीचर बन गए GIC प्रिंसिपल, PCS 2018 में भर्ती को लेकर UPPSC की दलील सुप्रीम कोर्ट में खारिज
PCS 2018 में भर्ती को लेकर UPPSC की दलील सुप्रीम कोर्ट में खारिज।

प्रयागराज [राज्य ब्यूरो]। नियम है कि राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य वही शिक्षक बन सकते हैं, जिन्हें इंटर कालेज में कम से कम तीन वर्ष पढ़ाने का अनुभव हो। अनुभव प्रमाण पत्र संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा सत्यापित होना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस 2018 की भर्ती में ऐसे शिक्षक भी प्रधानाचार्य पद पर चयनित हो गए, जो प्राइमरी में अध्यापक थे। कुछ की आयुसीमा व अनुभव भी कम था। यही कारण है कि आयोग की सारी दलीलें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दीं। अब आयोग को नए सिरे से प्रधानाचार्य पद की भर्ती करानी होगी।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस-2018 के तहत अलग-अलग पदों की 988 रिक्तियों की भर्ती निकाली थी। इसमें राजकीय इंटर कालेज में प्रधानाचार्य के 83 पद शामिल थे। अंतिम परिणाम 11 सितंबर, 2020 को जारी हुआ। 976 अभ्यर्थी सफल हुए। मुख्य परीक्षा में 175 अभ्यर्थी चयनित हुए। चयनितों में 33 का सशर्त चयन किया गया था। भर्ती में गड़बड़ी का अंदेशा होने पर अभ्यर्थी अशोक कुमार ने जलालपुर, आंबेडकरनगर के खंड शिक्षाधिकारी से आरटीआइ के तहत एक अभ्यर्थी के बारे में जानकारी मांगी।

उन्हें 10 नवंबर, 2020 को जवाब मिला तो पता चला कि प्राथमिक विद्यालय मगुराडिला, विकास खंड जलालपुर व जिला आंबेडकरनगर में कार्यरत सहायक अध्यापक का चयन हो गया। अभिलेखों में इनकी जन्म तिथि 30 नवंबर, 1989 दर्ज है, जबकि भर्ती में नियमानुसार एक जुलाई, 2018 को अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 30 वर्ष निर्धारित थी। इस तरह इनकी उम्र कम थी। अशोक के अनुसार प्राथमिक विद्यालय गदनपुर, विकास खंड रामनगर जौनपुर व प्राथमिक विद्यालय बिसरौली, देवमई, फतेहपुर में कार्यरत सहायक अध्यापकों का भी प्रधानाचार्य पद पर चयन हुआ है। इन्होंने अपनी नौकरी छिपाई थी। फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र के आधार पर उनका चयन कर लिया गया।

पूर्व अध्यक्ष के कालेज में बना प्रमाण पत्र : यूपीपीएससी के एक पूर्व अध्यक्ष जिस डिग्री कालेज के प्राचार्य थे, पीसीएस-2018 के प्रधानाचार्य पद के कुछ अभ्यर्थियों ने वहीं से अनुभव प्रमाण पत्र बनवाया। केंद्रीय विद्यालय अन्नानगर, चेन्नई में कार्यरत एक शिक्षिका का चयन भी प्रधानाचार्य पद पर हुआ है। अशोक का दावा है कि शिक्षिका का अनुभव सिर्फ एक वर्ष है।

कब क्या हुआ भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल की। कोर्ट ने 19 फरवरी, 2021 को परिणाम संशोधित करने का आदेश दिया। यूपीपीएससी ने हाई कोर्ट में विशेष अपील दाखिल की। पांच जुलाई, 2021 को डबल बेंच ने आयोग की अपील खारिज कर दी। परिणाम संशोधित न होने पर अभ्यर्थियों की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई। उसकी सुनवाई 15 जुलाई को होनी थी। इसके पहले 13 जुलाई को आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की, लेकिन अभ्यर्थियों ने 12 जुलाई को ही कैविएट दाखिल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई को आयोग की एसएलपी खारिज कर दिया। इसके बाद अब आयोग को प्रधानाचार्य पद का परिणाम संशोधित करना होगा।
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