Khadi Exhibition: समय के साथ कदम ताल कर रही गांधी की खादी, लखनऊ में 30 फीसद छूट पर मिल रहे कपड़े
खादी एक वस्त्र नहीं विचारधारा है जो हर किसी को रोजगार से जोड़ता है। इस विचार धारा से युवाओं को जोड़ने के लिए खादी को युवाओं के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। समय के अनुरूप खादी कदम ताल कर रही है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की खादी एक वस्त्र नहीं विचारधारा है जो हर किसी को रोजगार से जोड़ता है। इस विचार धारा से युवाओं को जोड़ने के लिए खादी को युवाओं के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। समय के अनुरूप खादी कदम ताल कर रही है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की ओर से चारबाग के बाल संग्रहालय मैदान में चल रही खादी प्रदर्शनी में जींस, टाप व सूट के साथ ही खादी के कपड़े 30 फीसद छूट पर मिल रहे हैं। प्रदर्शनी प्रभारी प्रशांत मिश्रा ने बताया कि आयोग कोरोना संक्रमण काल में भी रोजगार देने में लगा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार से समन्वय बनाकर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है।
राज्य निदेशक राजेश कुमार के निर्देश पर प्रदर्शनी में सुरक्षा का पूर ध्यान रखा गया है। दर्शकों को मास्क लगाकर आना है। शरीर के तापमान को चेक करने और सैनिटाइजर की व्यवस्था भी की गई है। प्रदेश ही नहीं देश के कई राज्यो से खादी एवं ग्रोमोद्याेग की संस्थाएं आ रही हैं। राजस्थानी शाल के साथ मिट्टी के बर्तन और लोगों को भा रहे हैं। 16 अक्टूबर तक प्रदर्शनी चलेगी।
सोलर चाक से मिलेगी माटी कला को बुलंदी: परंपरागंत कुम्हारों की माटी कला को बुलंदी देने की तैयारी पूरी हो गई है। उन्हें जहां चाक चलाने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी वहीं वह अपनी कला को संवार भी सकेंगे। सूरज की रोशनी से उनकी चाक घूमेगी। केंंद्र सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ओर से सूबे के कई जिलों चाक देकर इसकी शुरुआत की जा रही है। सफलता के बाद इसे पूरे प्रदेश के कुम्हारों को दिया जाएगा। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग की पहल पर सूबे में आत्म निर्भर योजना के तहत 19 जिलों को शामिल किया गया है। कुम्हारी कला, शहद उत्पादन, लेदर क्राफ्ट और लकड़ी की कला के कारीगरों को अपनी कला और रोजगार को आगे बढ़ाने मेें मदद मिलेगी। लुघ उद्याेगों का बढ़ावा देने के साथ ही चारों विधाओं में 200-200 कामगारों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है।