Fraud with Mumbai Property Dealer: ठगी करने वाला बाबा त्रिकालदर्शी साथियों संग अंडरग्राउंड, पुलिस ने बढ़ाई गिरफ्तारी की धारा
बांदा में खनन का काम दिलाने और पार्टनरशिप के बाद जालसाजी करने के आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने रविवार को गिरफ्तारी की धारा बढ़ाई थी। इसके बाद से सभी फरार बताए जा रहे हैं। आरोपित आनंद कुमार सिंह उर्फ बाबा त्रिकालदर्शी साथियों संग अंडरग्राउंड हो गया है।
लखनऊ जागरण संवाददाता। मुंबई के बिल्डर दीपक शर्मा से नौ करोड़ 43 लाख रुपये हड़पने के आरोपित आनंद कुमार सिंह उर्फ बाबा त्रिकालदर्शी साथियों संग अंडरग्राउंड हो गया है। खनन का काम दिलाने और पार्टनरशिप के बाद जालसाजी करने के आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने रविवार को गिरफ्तारी की धारा बढ़ाई थी। इसके बाद से सभी फरार बताए जा रहे हैं।
पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने इस मामले में एफआइआर के निर्देश दिए थे। दीपक शर्मा ने खनन के काम के दौरान आरोपितों पर बिना सरकारी दस्तावेज के रेत बेचने का आरोप लगाया था। इसके तहत आरोपितों ने बिना चालान और रेत की मात्रा कम दिखाकर खेल किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए रिपोर्ट दर्ज करने के बाद विभूतिखंड पुलिस ने पड़ताल तेज कर दी है। एसीपी विभूतिखंड के मुताबिक आरोपित आनंद कुमार सिंह, नवनीत सिंह भदौरिया, राजीव लोचन पालीवाल और विजय पाल प्रजापति के बीच लेनदेन का विवाद है। एसएसआइ पवन सिंह मामले की विवेचना कर रहे हैं।
यह है मामला: विभूतिखंड थाने में मुंबई के बिल्डर दीपक शर्मा ने चार लोगों के खिलाफ नौ करोड़ 39 लाख रुपये हड़पने की एफआइआर दर्ज कराई है। पीडि़त मेसर्स नेचुरल बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का निदेशक है। आरोप है कि वृंदावन योजना रायबरेली रोड निवासी आनंद कुमार सिंह उर्फ बाबा त्रिकालदर्शी, विराम खंड निवासी राजीव लोचन पालीवाल, विजयंत खंड निवासी नवनीत सिंह भदौरिया और रायबरेली रोड निवासी विजय पाल प्रजापति ने बांदा में खनन का ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी की है। आरोप है कि वर्ष 2018 में आनंद कुमार सिंह ने दीपक शर्मा से मुंबई में एक पार्टी के दौरान संपर्क किया था। इस दौरान आरोपित ने लखनऊ में ऊंची पहुंच होने का झांसा दिया था और रेत का खनन दिलाने की बात कही थी। इसके बाद आनंद के बुलाने पर दीपक लखनऊ आए थे, जहां उन्हें मीटिंग के लिए राजीव पालीवाल के घर और अलग-अलग होटलों में ले जाया गया था। आनंद ने दीपक शर्मा की मुलाकात राजीव के अलावा नवनीत और विजय पाल से कराई थी। आरोपितों ने दीपक की कंपनी के नाम टेंडर दिलाने की बात कही थी और कुछ जाली कागजों पर उनके हस्ताक्षर लिए थे। बाद में आनंद ने विजय पाल को फर्म के मालिक के रूप में पेश किया। हालांकि दीपक को झांसा दिया कि उनकी कंपनी टेंडर के लिए पंजीकृत होगी, लेकिन ठेका वीपी कंस्ट्रक्शन को दिया गया। दीपक ने आरोपितों के कहने पर एक करोड़ 60 लाख रुपये एडवांस के तौर पर दिए थे। टेंडर दीपक की कंपनी को नहीं मिला तो उन्होंने आपत्ति जताई। इस पर आरोपित उन्हें गुमराह करते रहे और लाभ में हिस्सा देने की बात कही। आरोपितों के कहने पर दीपक ने उन्हें और धनराशि ट्रांसफर कर दी। आरोप है कि चारों ने साजिश के तहत टेंडर मिलने के बाद खनन की रेत वीपी कंस्ट्रक्शन के तहत बेचने लगे। यही नहीं आरोपितों ने चालान में भी हेरफेर किया और अवैध रूप से रेत की बिक्री की।