कोरोना आपदा के बीच ब्लैक फंगस बना नई आफत, उत्तर प्रदेश में चार की मौत; कई की हालत गंभीर

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ व मेरठ में इस बीमारी से एक-एख और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया। निजी कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में नए मरीज मिल रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 12:56 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 07:02 AM (IST)
कोरोना आपदा के बीच ब्लैक फंगस बना नई आफत, उत्तर प्रदेश में चार की मौत; कई की हालत गंभीर
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मेरठ और झांसी में ब्लैक फंगस के चार मरीजों की मौत हो गई है।

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमायकोसिस) नई आपदा बनकर टूट रहा है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ व मेरठ में इस बीमारी से एक-एख और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया। निजी कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में नए मरीज मिल रहे हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई गई है। निजी अस्पतालों एवं ईएनटी क्लीनिकों से ब्लैक फंगस के लक्षणों वाले मरीजों की जानकारी जुटाई जा रही है। 

झांसी में ब्लैक फंगस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती ब्लैक फंगस के दोनों मरीजों की मौत हो गई है। मंगलवार को एमआरआइ जाच में पांच मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी, जिनमें से दो मरीज मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के विभागाध्यक्ष, ईएनटी डॉ. जितेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि जिन दो मरीजो का उपचार चल रहा था, वे शारीरिक रूप से बहुत कमजोर थे और उनकी इम्यूनिटी वीक थी। इम्यूनिटी कम होने से इन्फेक्शन बढ़ता चला गया और दो मरीजों की मौत हो गई।

वहीं, लखनऊ स्थित लोहिया संस्थान की होल्डि‍ंग एरिया में पोस्ट कोविड एक महिला की ब्लैक फंगस के चलते मौत हो गई। कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद आंख व नाक में सूजन होने पर सोमवार को महिला को लोहिया संस्थान की इमरजेंसी लाया गया था। सीटी स्कैन करने पर फंगस नजर आया, तब उसका उपचार शुरू किया, मगर उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई। फंगस की कल्चर जांच कराने की तैयारी भी शुरू हुई, लेकिन इसी बीच उसकी मौत हो गई।

मेरठ में न्यूटिमा में भर्ती मुजफ्फरनगर के एक मरीज की शुक्रवार को मौत हो गई, वहीं एक मरीज की आंख खराब हो गई, जिस वजह से मरीज की आंख को निकालना पड़ा। मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के पांच मरीज पहले ही मिल चुके हैं। दो दिन पहले एक मरीज को नई दिल्ली रेफर कर दिया गया था। कई अन्य अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीज भर्ती हैं। बाजार में इसके लिए जरूरी दवाएं न मिलने से मरीजों की जिंदगी दांव पर है।

ईएनटी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूकरमाइकोसिस नामक फंगस वातावरण में हमेशा रहता है, लेकिन कोविड मरीजों को यह ज्यादा पकड़ रहा है। न्यूटिमा के डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि ब्लैक फंगस बेहद खतरनाक बीमारी है। पिछली लहर की तुलना में इस बार पोस्ट कोविड फेज में यह ज्यादा देखी जा रही है। आनंद अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ब्लैक फंगस के दो मरीजों का आपरेशन किया है।

मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि लंबे समय तक आइसीयू में रहने, स्टेरायड खाने एवं अनियंत्रित शुगर की वजह से यह फंगस संक्रमित हो रहा है। कई मरीजों की आंखों की पुतली ने घूमना बंद कर दिया है। चेहरे की नसें ठंडा-गरम का अहसास नहीं कर पा रही हैं। मेडिकल कालेज ने दो को रेफर किया है।

नाक, कान, गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक सिंह ने बताया कि सप्ताहभर में ब्लैक फंगस के दर्जनों मरीज देख चुका हूं। फंगस ऐसे मरीजों को पकड़ रहा जिनका शुगर लेवल 400 के आसपास है, और जो लंबे समय तक स्टेरायड ले चुके हैं। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में भी इसके मरीज मिले थे, लेकिन इस बार इनकी संख्या बहुत ज्यादा है। वक्त पर इलाज और आपरेशन की सुविधा न मिले तो मरीज की आंख खराब होने के साथ ही मौत भी हो सकती है। यह बीमारी दो-तीन दिन में ही बड़ी तेजी से बढ़ती है।

गाजियाबाद में चार मरीज मिले : गाजियाबाद में भी काला फंगस के चार मरीज मिले हैं। चारों मरीज राजनगर स्थित हर्ष पालीक्लीनिक में इलाज कराने पहुंचे हैं। डॉ.बीपी त्यागी ने बताया की शुक्रवार को ऐसे ही दो मरीजों का आपरेशन किया गया है। दोनों स्वस्थ हैं। काला फंगस कोरोना इलाज के दौरान अधिक स्टेरायड लेने से होता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को यह अपना शिकार बनाता है।

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