लखनऊ : भातखंडे की कुलपति प्रो. श्रुति सडोलीकर की सेवा समाप्त, सभी आरोप पाए गए सही

संस्कृति विभाग उप्र शासन द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने भातखंडे संगीत संस्‍थान की पूर्व कुलपति के विरुद्ध लगाए आरोप पाए सही। आपराधिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही करने के लिए प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग को किया गया आदेशित।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 09:12 PM (IST) Updated:Tue, 22 Dec 2020 07:47 AM (IST)
लखनऊ : भातखंडे की कुलपति प्रो. श्रुति सडोलीकर की सेवा समाप्त, सभी आरोप पाए गए सही
तीन सदस्यीय जांच समिति ने आरोप सही पाए और अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी।

लखनऊ, जेएनएन।  वित्तीय अनियमितता के आरोप जांच में सही पाए जाने पर भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. श्रुति सडोलीकर काटकर की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। 31 जुलाई को जांच प्रारंभ होने के बाद ही श्रुति सडोलीकर को कार्यमुक्त करके यहां का प्रभार मंडलायुक्त को दे दिया गया था।  संस्कृति विभाग द्वारा इनके विरुद्ध वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच के लिए समिति गठित की गई थी। हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार दीक्षित की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी। इसके बाद प्रो. श्रुति सडोलीकर काटकर की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा इनके विरुद्ध आपराधिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही करने के लिए प्रमुख सचिव, संस्कृति विभाग को आदेशित किया गया है।

जांच में श्रुति पर लगाए गए 15 आरोपों को सही पाया गया है। जांच रिपोर्ट में उनके द्वारा सक्षम स्तर से अनुमति लिए बिना मुख्यालय से बाहर निवास करने और ताल वद्य के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार मिश्रा को प्रभारी कुलपति नियुक्त किए जाने के संबंध में स्पष्टीकरण तर्कसंगत नहीं पाया गया। जांच के अन्य ङ्क्षबदु भी रहे। इसमें वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिना टेंडर के एक ही प्रकार के काम, एक ही फर्म ऊषा एसोसिएट से कराते हुए टुकड़ों में दो लाख सत्रह हजार पच्चासी रुपये का भुगतान किया गया। कला मंडप के निर्माण में बिना टेंडर तथा बिना ई टेंडर के 2018 में संस्थान की विभिन्न समितियों द्वारा तीन करोड़ आठ लाख रुपये का अनुमोदन प्रदान किया गया। इन्हीं भुगतानों के क्रम में एक्यूरेट इंजीनियर‍िंग, सरवन प्लाजा, ए-1, सप्रू मार्ग, हजरतगंज को बिना टेंडर अथवा ई टेंडर के करीब 24 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई।

इसी तरह अंजलि ट्रेडर्स, पुण्य इंटरप्राइजेज, एपेक्स कूलि‍ंग सर्विसेज, बीआर इंटरप्राइजेज, इंडियन फायर सर्विस, एक्यूरेट इंजीनियङ्क्षरग, उषा एसोसिएट, वर्मा इलेक्ट्रॉनिक्स, यूपी इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन आदि फर्मों को दो वर्षों में करीब चार करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान किया गया। अभी भी एक करोड़ अस्सी लाख का भुगतान किया जाना शेष है। निविदा आमंत्रित न कर एक लाख से अधिक के कार्य टुकड़ों में बांटकर अनियमित रूप से कराया गया। कोटेशन में सम्मिलित न होने वाली फर्म को काम आवंटित करके अनियमित भुगतान तथा फैन आपूर्ति के लिए अनियमित भुगतान किए जाने जैसी अनियमितताएं पाई गईं।

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