CAA प्रोटेस्ट पर उमा ने कहा- धरने पर बैठी महिलाएं दैवीय शक्तियां, बैठाने वाले राक्षसी प्रवृत्ति के
दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर उमा भारती ने कहा इस कृत्य की तो निंदा होनी चाहिए जिन्होंने हत्या और हिंसा की है। इस दुखद अध्याय का जितनी जल्दी हो समाप्ती हो जाए।
अयोध्या, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद पहली बार मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती रामनगरी पहुंचीं। रामलला व हनुमानगढ़ी में बजरंगबली के दर्शन बाहर आईं उमा भारती मीडिया से बातचीत की।
इस दौरान उन्होंने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर कहा कि मारने वाले बहुत कम होते हैं, वो कभी मरते नहीं और मरने वाले कभी दंगे में नहीं होते। वह सिर्फ शिकार होते हैं। मारने वाले मारकर भाग जाते हैं। यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होती है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी ही बारीकी से छानबीन करके काम करना पड़ता है। इसलिए इस कृत्य की तो निंदा होनी चाहिए, जिन्होंने हत्या और हिंसा की है। इस दु:खद अध्याय का जितनी जल्दी हो समाप्ती हो जाए, इसके लिए मैं भगवान राम से प्रार्थना करती हूं।
धरने पर बैठी महिलाएं दैवीय शक्तियां हैं, बैठाने वाले राक्षसी प्रवृत्ति के
सीएए के विराध में शाहीनबाग व लखनऊ में हुई हिंसा पर उमा भारती ने कहा कि यह तो साजिश है। इससे बड़ा फैसला था राम मंदिर का निर्माण, तीन तलाक, 370 धारा सबने पूरे सम्मान के साथ स्वीकार किया। देश में शांति और अमन कायम रहा। वहीं, धरने पर बैठी महिलाओं के बारे में उमा भारती ने कहा कि उन्हें तो पता ही नहीं है कि सीएए है क्या। धरने पर बैठी महिलाएं तो दैवीय शक्तियां हैं, लेकिन उन्हें बैठाने वाले निश्चित रूप से राक्षसी प्रवृत्ति के लोग हैं। महिलाओं को गलत तरीके से मोटीवेट किया जा रहा है। वह लोग देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।
अब रामलला जहां बैठे हैं, वहीं होगा राम मंदिर का निमार्ण
उमा भारती ने कहा कि मैं अयोध्या के साथ तब जुड़ी थी, जब ताला खोलने के लिए आंदोलन शुरू हुआ था। ताले खुले उसके बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी बनी। फिर कमिटी के द्वारा अयोध्या आंदोलन का राजनीतिकरण हुआ। उसके बाद में निरंतर आज तक इसके साथ जुड़ी हुई हूं। 31 अक्टूबर के बाद दो नवंबर की कार्य सेवा में मैं जत्थे के साथ थी और 6 दिसंबर को सर्वविदित मैं यही थी। उसी बीच सुप्रीम कोर्ट का मामले पर निर्णय आया। अब रामलला जहां बैठे हैं, वहीं राम मंदिर का निमार्ण होगा। यह रास्ता प्रश्स्त हुआ।
कार्य सेवकों के दिए बलिदान काम आए। मेरे लिए यह जीवन का परम संतोष का क्षण है कि हमें एक महान कार्य में भागीदारी करने का मौका मिला। अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। मंदिर के निर्माण में जिनका भी योगदान रहा सभी का अभिनंदन है। जब मंदिर तोड़ा गया था, तब से लेकर आज तक बिना सूचना दिए ही अयोध्या आईं हूं। मैं कोई भीड़-भड़का या कोई जुलूस का मजमा लेकर नहीं आई। क्योंकि यह अभिमान मन में पालना कि हमने यह काम किया था। ऐसा कुछ नहीं है। लाखों लोगों की मदद से राम मंदिर का सपना साकार हो रहा है। मैं आज शांत भाव के साथ अयोध्या की धरती को नमन करने आई हूं। जिस दिन से राम मंदिर टूटा और जबसे यह बनेगा, उसका पूरा श्रेय हनुमानगढ़ी के लोगों को देती हूं।
फांसी पर चढ़ाए जाने में भी दिक्कत नहीं : उमा भारती
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम मंदिर निर्माण के साजिश कर्ता मामले पर उमा भारती ने कहा कि अब इसके दो हिस्से हैं। पहला तो भव्य मंदिर का निर्माण होगा। वहीं, दूसरा कि सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया था कि इसमें कोई साजिश थी या नहीं। जिसमें छह लोग साजिश कर्ता माने गए थे, जिसमें मैं भी शामिल हूं। इससे यह बात स्पष्ट होता है कि जो यह बात कही जाती है कि हमारी केंद्र सरकार अपने राजनीतिक मकसद के लिए सीबीआइ का उपयोग करती है। अब इससे मारी सरकार की निष्पक्षता साबित होती है। क्योंकि हमारी ही सरकार में सीबीआइ ने हमें दोषी ठहराया गया है। इस आंदोलन के प्रति हमारी संलग्नता और आत्मसमर्पण साबित होता है। यदि हम साजिश कर्ता हैं तो संसार के सारे राम भक्तों की भक्ती ही कठघरे में खड़ी हो जाएगी। अब हमें तो फांसी पर चढ़ाए जाने में भी दिक्कत नहीं है। अब जो भी फैसला आएगा हम स्वीकार करेंगे। हम अपने सामने भव्य राम मंदिर को बनता हुआ देखेंगे।
भगवान पुरुषोत्म राम की मर्यादाओं पर चल रही सरकार
उमा भारती ने कहा कि हमारी सरकार भगवान पुरुषोत्म राम की मर्यादाओं पर चल रही है। और यह जो आरोप लगता है कि अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करने के लिए एजेंसियों पर दबाव बनाते हैं। इससे यह बात पूरी तरह खंड़ीत हो जाती है। हमारी सरकार निष्पक्ष रूप से काम करने को कहती है। हम बिल्कुल मर्यादा पुरुषोत्म भगवान राम के आदर्शों पर चल रहे हैं।
टपरे में बैठे भगवान को देख लगता था अपराध बोध
उमा भारती ने कहा कि पहले जब रामलला के सामने आते थे तो अपराध बोध होता था कि वो टपरे में बैठे हुए हैं और हम लोगों ने कई बार सरकारें बना ली। इसके बाद बड़े-बड़े बंगले में जाकर बैठ गए। अब रामलला के लिए भव्य मंदिर के निर्माण की तैयारी हो रही है। अब अपराध बोध का वजन हृदय पर से उतर रहा है। मुझे यह शुरू से ही विश्वास था कि वहां राम मंदिर के अलावा कुछ बन नहीं सकता।