UP: नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर समेत पांच अभियुक्त भगोड़ा घोषित, गिरफ्तारी वारंट जारी
एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं और उनकी बेटी के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करने के मामले में बीएसपी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी व राम अचल राजभर को भगोड़ा घोषित कर दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं और उनकी बेटी के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करने के मामले में बुधवार को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी व राम अचल राजभर को भगोड़ा घोषित कर दिया है। विशेष अदालत ने इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया है।
विशेष जज पवन कुमार राय ने इस केस में बसपा के तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव मेवालाल गौतम समेत नौशाद अली व अतहर सिंह राव के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कुर्की नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया है। 12 जनवरी, 2018 को मामले में इन सभी मुल्जिमों के खिलाफ आइपीसी की धारा 506, 509, 153ए, 34, 149 व पॉक्सो एक्ट की धारा 11 (1) के तहत भी आरोप पत्र दाखिल किए गए थे, लेकिन तबसे वे न तो अदालत में हाजिर हुए और न ही जमानत कराई। नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब कांग्रेस में हैं। वह फरवरी 2018 में कांग्रेस में शामिल हुये थे।
ये है पूरा मामला : 22 जुलाई, 2016 को मामले में नामजद एफआइआर दयाशंकर सिंह की मां तेतरी देवी ने हजरतगंज में दर्ज कराई थी। उन्होंने एफआइआर में नसीमुद्दीन, राम अचल राजभर व मेवालाल समेत बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को भी नामजद किया था। इसके मुताबिक 20 जुलाई, 2016 को बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा में उन्हें, उनकी बेटी, उनकी बहू व नातिन तथा उनके परिवार की सभी महिलाओं को अपशब्द कहे। जबकि, इसके दूसरे दिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामअचल राजभर व मेवालाल की अगुवाई में बसपा कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज स्थित आंबेडकर प्रतिमा पर उनके पुत्र दयाशंकर सिंह को मां व बहन की अपशब्द और अभद्र टिप्पणी करते हुए धरना-प्रदर्शन किया। वर्ग और जातीय भेद बताते हुए भीड़ को हिंसा के लिए उत्तेजित किया। दयाशंकर की 12 वर्षीय बेटी के लिए खुलेआम अमर्यादित नारे लगाए जो दुष्कर्म की श्रेणी में आते हैं।