UP: नगरीय निकायों के सामने खड़ा हो सकता वित्तीय संकट, धनराशि में 1922 करोड़ की होगी कटौती
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य वित्त आयोग के जरिये नगरीय निकायों को दी जाने वाली धनराशि में भारी-भरकम कटौती करने जा रही है। सरकार ने अलग-अलग योजनाओं में भुगतान के लिए करीब 1922.37 करोड़ रुपये की कटौती का निर्णय किया है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य वित्त आयोग के जरिये नगरीय निकायों को दी जाने वाली धनराशि में भारी-भरकम कटौती करने जा रही है। सरकार ने अलग-अलग योजनाओं में भुगतान के लिए करीब 1922.37 करोड़ रुपये की कटौती का निर्णय किया है। इससे नगरीय निकायों के सामने बड़ा वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है। हालांकि यह रकम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण व बिजली बकाये आदि पर खर्च की जाएगी।
दरअसल, राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि का इस्तेमाल नगरीय निकाय अवस्थापना सुविधाओं के विकास में करते हैं। साथ ही इसका इस्तेमाल निकाय स्तर पर शुरू की गई योजनाओं पर करते हैं। अब सरकार ने इसमें कटौती का फैसला किया है।
अपर मुख्य सचिव नगर विकास डा. रजनीश दुबे की ओर से जारी आदेश के मुताबिक एसटीपी के रखरखाव के लिए 350 करोड़, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 100 करोड़ और श्वानों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए 10 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करके राज्य स्तरीय निधि बनाई जाएगी। 460 करोड़ रुपये की राज्य स्तरीय निधि इन तीन योजनाओं में ही खर्च की जाएगी।
साथ ही विद्युत मार्ग प्रकाश समेत अन्य बिजली बकाये के लिए 1237.50 करोड़ रुपये, पालिका केंद्रीयत सेवा के अधिकारियों व कर्मचारियों की पेंशन भुगतान के लिए 100 करोड़ रुपये, पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर विकास योजना के तहत दिए गए कर्ज के लिए 84.51 करोड़ रुपये सहित कुछ अन्य मदों में कटौती का निर्णय लिया गया है। इसमें कुल 1462.37 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। जानकारों का मानना है कि इतनी अधिक धनराशि की कटौती से नगरीय निकायों में वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है।