नोएडा और ग्रेनो: अस्थायी कनेक्शन में अनियमितताओं की फाइलें गायब, अभियंताओं से जवाब-तलब

UP Power Corporation पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीवीवीएनएल) के तहत नोएडा और ग्रेटर नोएडा में दिए गए अस्थायी बिजली कनेक्शन में अनियमितताओं की एसटीएफ जांच की सुगबुगाहट के बीच फाइलें गायब हो रही हैं। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने फाइलें न मिलने पर आरोपी अभियंताओं से जवाब-तलब किया है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 01:43 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 01:43 PM (IST)
नोएडा और ग्रेनो: अस्थायी कनेक्शन में अनियमितताओं की फाइलें गायब, अभियंताओं से जवाब-तलब
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी जा सकती है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीवीवीएनएल) के तहत नोएडा और ग्रेटर नोएडा में दिए गए अस्थायी बिजली कनेक्शन में अनियमितताओं की एसटीएफ जांच की सुगबुगाहट के बीच फाइलें गायब हो रही हैं। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने फाइलें न मिलने पर आरोपी अभियंताओं से जवाब-तलब किया है। दरअसल, अस्थायी बिजली कनेक्शन देने में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के विद्युत राजस्व के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। प्रबंधन ने संबंधित तीन अधिशासी अभियंता, आठ सहायक अभियंता और 11 अवर अभियंताओं को हटाने के साथ ही आरोप पत्र सौंप दिए हैं।

प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी जा सकती है। ऐसे में जिन अस्थायी कनेक्शन में बड़ी गड़बड़ी हुई हैं उनकी फाइलें ही अब नहीं मिल रही हैं। सूत्रों के मुताबिक फाइलें न मिलने पर प्रबंधन ने संबंधित आरोपी अभियंताओं से गायब फाइलों के बारे में जानकारी मांगी है। फाइलें न मिलने पर संबंधित अभियंता व लिपिक आदि के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। प्रबंधन का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सतर्कता जांच के साथ ही उनकी बर्खास्तगी सुनिश्चित की जाएगी। 

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि चूंकि बड़े पैमाने पर राजस्व नुकसान की आशंका है इसलिए सरकार को पूरे मामले की तत्काल उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश दे देने चाहिए। वर्मा ने बताया कि इस संबंध में उनके द्वारा उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में पहले ही याचिका दायर की जा चुकी है। बता दें कि हाल ही में इसके पहले बिजली के आस्थायी कनेक्शन में गड़बड़ियों के लिए प्रथम दृष्टया जिम्मेदार पाए गए तीन अधिशासी अभियंता, आठ सहायक अभियंता और 11 अवर अभियंताओं को पश्चिमांचल डिस्काम से हटाकर पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम स्थानांतरित कर दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंप सकती है। 

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