अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी से फेलोशिप, लखनऊ में नौकरी...संडे को गांव में फ्री ओपीडी
गोंडा के कर्नलगंज से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैसरगंज निवासी डा. महताब खान की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। गांव के वह पहले डॉक्टर हैं इसलिए उन्हें यहां के लोगों से बेहद लगाव है। हार्ट शुगर तथा अन्य बीमारियों की दवा फ्री देते हैं।
गोंडा, [रमन मिश्र]। आइए आपको एक ऐसे शख्स से मिलाते हैं, जिसके मन में गांवों से बीमारी के खात्मे का जुनून है। इसके लिए वह कुछ अलग पहल कर रहे हैं। बहराइच के कैसरगंज के निवासी डा. महताब लखनऊ में एक चिकित्सा संस्थान (फातिमा) में कार्यरत हैं। वह हर रविवार को गांव में ओपीडी चलाते हैं। यहां पर निश्शुल्क इलाज के साथ ही गांवों में लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक कर रहे हैं। गांव के वह पहले डॉक्टर हैं, इसलिए उन्हें यहां के लोगों से बेहद लगाव है। हार्ट, शुगर तथा अन्य बीमारियों की दवा फ्री देते हैं।
गोंडा के कर्नलगंज से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैसरगंज निवासी डा. महताब खान की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट हुकुम सिंह इंटर कालेज से किया। एमबीबीएस व एमडी उन्होंने किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ से किया। फेलोशिप उन्होंने अमेरिका के हावर्ड यूनिवर्सिटी से किया। इसके बाद वापस लखनऊ आकर उन्होंने लखनऊ के फातिमा हॉस्पिटल में कार्य शुरू किया।
ऐसे आया मन में विचार: वर्ष 1998 में उनके दादा सुबराती की तबीयत रात में खराब हुई। इसके बाद उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया था लेकिन, उन्हें बचाया नहीं जा सका। ऐसे में उन्होंने यह फैसला लिया कि गांव के लोगों को गांव में ही बेहतर इलाज की सुविधा मिले। इसके लिए हर रविवार को उन्होंने गांव में ओपीडी शुरू की। यहां पर मरीजों का फ्री इलाज करने के साथ ही जांच की भी सुविधा है। हर रविवार को वह करीब 50 मरीजों का इलाज करते हैं।
लोगों को कर रहे जागरूक ताकि न फैले बीमारी : गांव में ओपीडी करने के साथ ही गोंडा व बहराइच के सीमावर्ती गांवों में भ्रमण करके लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हृदय की बीमारी से कैसे बचें, क्या-क्या सहूलियत बरतें.. इन तमाम ङ्क्षबदुओं के बारे में बता रहे हैं। ताकि लोगों को बीमारियों से बचाया जा सके।
प्रोफेशन से ज्यादा मिशन की तरफ है ध्यान : चिकित्सक डॉ.एम खान के मुताबिक केजीएमयू से एमबीबीएस,एमडी,पीजीडीसीसी कॉर्डियोलॉजी व कंसल्टेंट शुगर एवं हार्ट फिजीशियन हैं। उन्होंने यूएसए में भी पढ़ाई की। उन्हें बड़े अस्पतालों से बुलावा मिला लेकिन, उन्होंने मिशन को तवज्जो दी। गोंडा जिले में एक हास्पिटल खोलने की कवायद में जुटे हैं। सब कुछ ठीक रहा तो अस्पताल का सपना जल्द साकार होगा। यहां लोगों को मुफ्त इलाज मिलेगा। वह प्रोफेशन से ज्यादा मिशन की तरफ ध्यान देते हैं। अपनी प्रैक्टिस का एक हिस्सा अपने लिए जबकि दूसरा हिस्सा गरीबों के इलाज में खर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रचार करना उनका मकसद नहीं है, बल्कि लोगों को जागरूक कर बीमारियों से बचाना है।