गोंडा समेत कई जिलों में किसानों को खाद लेने के लिए करने होंगे नए नियमों के पालन, बिना खतौनी या जोत बही दिखाए नहीं मिलेगी खाद

अब किसानों को बिना खतौनी/जोत बही दिखाए खाद नहीं मिलेगी। उर्वरक बिक्रेता खतौनी व बोई जाने वाली फसल के अनुसार निर्धारित मात्रा में ही उर्वरक की बिक्री करेंगे। इससे न सिर्फ उर्वरक वितरण में गड़बड़ी पर रोक लगेगी बल्कि अंधाधुंध उर्वरक का प्रयोग भी नहीं कर सकेंगे।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 01:00 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 03:52 PM (IST)
गोंडा समेत कई जिलों में किसानों को खाद लेने के लिए करने होंगे नए नियमों के पालन, बिना खतौनी या जोत बही दिखाए नहीं मिलेगी खाद
गोंडा में उर्वरक बिक्री रजिस्टर में दर्ज होगा किसान का ब्योरा।

गोंडा, संवाद सूत्र। अब किसानों को बिना खतौनी/जोत बही दिखाए खाद नहीं मिलेगी। उर्वरक बिक्रेता खतौनी व बोई जाने वाली फसल के अनुसार निर्धारित मात्रा में ही उर्वरक की बिक्री करेंगे। इससे न सिर्फ उर्वरक वितरण में गड़बड़ी पर रोक लगेगी बल्कि, किसान अंधाधुंध उर्वरक का प्रयोग भी नहीं कर सकेंगे। उर्वरक बिक्री का पूरा ब्योरा किसान के नाम व पते के साथ पंजिका में दर्ज किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने गोंडा समेत अन्य जिलों में नई व्यवस्था लागू करने के लिए डीएम व मंडलायुक्त को पत्र भेजा है।

पीओएस मशीन से होगा वितरण: जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव ने बताया कि किसानों को उर्वरक का वितरण प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन से होगा। दुकानदार खाद बेचने के बाद किसानों को निर्धारित मात्रा व मूल्य की रसीद भी देंगे। यदि किसी भी दुकानदार ने निर्धारित मूल्य से अधिक पैसा लिया तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिले के बाहर के किसानों को कोई भी दुकानदार खाद नहीं बेचेगा।

अधिकारियों/ कर्मचारियों की लगेगी ड्यूटी: जिले में कृषकों की मांग व आवश्यकतानुसार उर्वरक का वितरण कराने के लिए निजी व सरकारी उर्वरक दुकानों पर निगरानी के लिए कृषि, सहकारिता व ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों/ कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। अधिकारी दुकानों का निरीक्षण करके बिक्री पंजिका व अन्य अभिलेखों का सत्यापन करेंगे। जिला स्तरीय अधिकारी उर्वरक के थोक व फुटकर विक्रेताओं के गोदाम की सघन तलाशी लेंगे।

रबी की बोआई में बढ़ेगी उर्वरक की डिमांड: रबी की बोआई को लेकर कृषि विभाग तैयारियों में जुट गया है। सबसे ज्यादा किसान इस सीजन में गेहूं की बोआई करते हैं। इसके लिए डीएपी, एनपीके खाद की आवश्यकता ज्यादा होती है। ऐसे में उर्वरक की डिमांड बढ़ जाती है। किसानों को उन्नतिशील प्रजाति के बीज व खाद उपलब्ध कराने के लिए जिलेवार लक्ष्य तय किया गया है।

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