जो हासिल है उसमें खुश रहिए या वो हासिल कीजिए जिसमें आपको खुशी मिले : पल्लवी फौजदार
दैनिक जागरण फेसबुक लाइव के माध्यम से वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर पल्लवी फौजदार के साथ रूबरू हुआ और अपनी लाइफ के बारे में बातें साझा की।
लखनऊ, जेएनएन। 20 दिसंबर 1979 को आगरा में जन्मी पल्लवी फौजदार बाइकिंग में अपने नाम कई रिकॉर्ड दर्ज करा चुकी हैं। 2015 में उन्होंने दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए थे। जिसमें से पहली सोलो राइड लेह लद्दाख की थी। इसमें उन्होंने 16 पास कवर किए थे, जिसमें आठ पास 5000 मीटर से ऊंचे थे। दूसरा देवभूमि उत्तराखंड का देव ताल था, जिसकी भी ऊंचाई 5000 मीटर थी। तीसरा विश्व रिकॉर्ड माना पास पर पहुंच कर बनाया था, जिसकी ऊंचाई 18774 फीट थी। यह पहला किसी महिला और पुरुष बाइकर श्रेणी में बनाया गया रिकॉर्ड था। इसके अलावा उन्हें कई सम्मानों से भी विभूषित किया जा चुका है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लेडी बाइकर पल्लवी फौजदार बुधवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों से रूबरू हुईं। दैनिक जागरण लखनऊ के फेसबुक एक्टिविटी पेज पर हुए सेशन में उन्होने लोगों के सवालों के जवाब के साथ जीवन को संतुलित और अनुशासित रखने के टिप्स दिए।
चोरी से चलाती थी पापा की बाइक
बचपन से ही मेरा बाइक चलने का सपना रहा है। जब मैं पापा को बाइक चलाते हुए देखती थी तो वहीं से मुझे एक प्रेरणा मिलती गई। मैं चोरी से उनकी बाइक चलाती थी। उस समय बहुत कम लोगों के पास बाइक होती थी ऐसे में मैं पापा की बाइक को आधा किलोमीटर तक पैदल खींच कर ले जाती थी और फिर स्टार्ट करके चलाती थी। ताकि किसी को पता ना चले लेकिन एक बार पापा के एक दोस्त ने मेरी उनसे शिकायत कर दी थी आपकी बेटी बाइक चलाती है। हालांकि उस वक्त वो हैरान जरूर हुए थे लेकिन उस बात को संभालते हुए उन्होंने कहा था कि मैंने अपने बेटे और बेटी में शिक्षा को लेकर कभी फर्क नहीं किया तो शौक को लेकर कैसे कर सकता हूं।
सब कुछ आप पर निर्भर है
मैं हमेशा से समाज में एक बदलाव लाना चाहती थी। मैं यही सोचती थी कि कुछ ऐसा जरूर करूंगी जो दुनिया के लिए मिसाल बनेगा। हम सभी खुश रहना चाहते हैं और इसके लिए तमाम कोशिश भी करते हैं। मैं यही कहती हूं कि आपके पास जो हासिल है उसमें खुश रह लीजिए या वो हासिल कीजिए जिसमें आपको खुशी मिलती है। सब कुछ आप पर निर्भर है।
सफलता में रहा परिवार का सबसे बड़ा सहयोग
मेरी ससुराल लखनऊ में है। इस सफलता में परिवार का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। दो बच्चों की मां होने के नाते मुझ भी कई तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है। लेकिन परिवार का इतना सहयोग मिलता है कि सारी चीजें अपने आप संतुलित हो जाती हैं। भारतीय नारियों के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है, बस आप अपने सपने को जिंदा रखिए। जो भी बाइक आपको मंजिल तक ले जाती है आपको उसकी रिस्पेक्ट करनी चाहिए।