जबरिया रिटायरमेंट के आदेश को पूर्व IPS अफसर अमिताभ ठाकुर ने CAT लखनऊ बेंच में दी चुनौती

Ex IPS Officer Amitabh Thakur जबरिया सेवानिवृत पूर्व आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने अनिवार्य सेवानिवृति को कैट लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। उन्हेंं गृह मंत्रालय भारत सरकार के आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश शासन ने 23 मार्च 2021 को अनिवार्य सेवानिवृति दी थी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 05:41 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 12:22 AM (IST)
जबरिया रिटायरमेंट के आदेश को पूर्व IPS अफसर अमिताभ ठाकुर ने CAT लखनऊ बेंच में दी चुनौती
मुजफ्फरपुर बिहार में जन्मे अमिताभ ठाकुर की शिक्षा बोकारो, झारखंड में हुई

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के जबरिया सेवानिवृत करने के फैसले को पूर्व आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने केंद्रीय केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। उन्हेंं केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के क्रम में प्रदेश सरकार ने 23 मार्च 2021 को अनिवार्य सेवानिवृति दी थी।

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में कालीदास मार्ग पर धरना देने वाले अमिताभ ठाकुर ने अब योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले का विरोध कर दिया है।

जबरिया सेवानिवृत पूर्व आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने अनिवार्य सेवानिवृति को कैट लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। उन्हेंं गृह मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश शासन ने 23 मार्च 2021 को अनिवार्य सेवानिवृति दी थी। अभी उनका कार्यकाल वर्ष 2028 तक है। अमिताभ ने अपनी याचिका में कहा कि भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश शासन के आदेश पूरी तरह गलत हैं और मात्र उनके प्रति व्यक्तिगत तथा व्यवस्थाजन्य विद्वेष तथा पूर्वाग्रह के कारण पारित है। जिससे उनका पूरा परिवार प्रभावित हुआ है।

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि यूपी शासन ने बिना कारण व आधार के मनमाने ढंग से उनका नाम चुन कर उन्हेंं सेवा से निकाले जाने की संस्तुति की, जिसे भारत सरकार ने अनुमोदित कर दिया। जब उन्होंने इस आदेश से संबंधित अभिलेख मांगे तो दोनों सरकार ने उन्हेंं अभिलेख देने से मना कर दिया गया।

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि इस प्रकार से अभिलेख देने से मना करने से यह साबित हो जाता है कि दोनों सरकार के आदेश गलत हैं और इस प्रकरण के तथ्य छिपाना चाहती हैं। अत: उन्होंने इस आदेश को खारिज करते हुए उन्हेंं सेवा में वापस लिए जाने तथा उन्हेंं इस अवधि के समस्त सेवा लाभ दिए जाने की प्रार्थना की है।

अमिताभ ठाकुर ने इससे पहले भी कहा था कि उन्हेंं किसी गंभीर अनियमितता के आरोप में नहीं बल्कि राजनीतिक व अन्य कारणों से सेवा से बाहर किया गया है। उन्हेंं जबरदस्ती दागी अधिकारी बताकर यह कार्रवाई की गई है, जबकि वह पूरी निष्ठा एवं लगन से अपने शासकीय दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे। शासन के अफसरों ने उन्हेंं प्रताडि़त करने तथा उनका प्रमोशन रोके रखने के लिए जानबूझकर उन जांचों को भी लंबित रखा, जिनमें जांच अधिकारियों ने उन्हेंं दोषी नहीं पाया था।

घर के बाहर भी लिखा था जबरिया रिटायर्ड आइपीएस: मुजफ्फरपुर बिहार में जन्मे अमिताभ ठाकुर की शिक्षा बोकारो, झारखंड में हुई। आइआइटी कानपुर से 1985 में बीटेक करने वाले अमिताभ ठाकुर ने आपीएस अफसर होने के बाद लखनऊ में आइआइएम से प्रबंधन की भी डिग्री ली है। उनका चयन 1992 में भारतीय पुलिस सेवा में हुआ था। अब वह लखनऊ में रहते हैं और अपने घर 5/426 विराम खंड, गोमतीनगर के गेट पर लगी नेम प्लेट पर जबरिया रिटायर्ड आइपीएस लिखवा दिया है। वह प्रदेश के दस जिलों के एसपी/एसएसपी रहे हैं। फिलहाल आइजी सिविल डिफेंस के पद पर थे।

मुलायम ने धमकाया था, सस्पेंड भी हुए थे: आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पर धमकाने का आरोप लगाते हुए लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में उनके खिलाफ तहरीर दी थी। जिसके बाद उनके खिलाफ मामला तक दर्ज हो गया था और उन्हेंं निलंबित भी किया गया था। अमिताभ ठाकुर सबसे पहले वर्ष 2006 में तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने उत्तर प्रदेश तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के समधी के खिलाफ फिरोजाबाद में मामला दर्ज कराया था। अमिताभ उन दिनों फिरोजाबाद के एसपी थे। तब मुलायम सिंह यादव के समधी रामवीर सिंह ने जसराना में उन्हेंं थप्पड़ मारा था जिसके बाद उन्होंने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। यहां से अमिताभ की सत्ताधारियों से लड़ाई शुरू हुई और फिर यह आगे चलती रही है। अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी डॉक्टर नूतन ठाकुर ने 2015 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कई शिकायतें दर्ज कराईं। जुलाई 2015 में मुलायम सिंह यादव ने अमिताभ ठाकुर को फोन करके फिरोजाबाद का किस्सा याद दिलाते हुए सुधर जाने की नसीहत दी थी। अमिताभ ठाकुर ने इसे धमकी बताते हुए मुलायम सिंह यादव के खिलाफ ही धमकी का मुकदमा दर्ज करा दिया था। 

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