AKTU Convocation ceremony in Lucknow: पद्मभूषण अनिल प्रकाश ने कहा, हमारे गांव ही हमारे पांव है
एकेटीयू के दीक्षा समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा डीएससी की मानद उपाधि से नवाजे गए पर्यावरणविद् पद्मश्री एवं पद्मभूषण अनिल प्रकाश जोशी। कुलाधिपति और राज्यपाल बोली कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हुई जीत पर शोध की जरूरत।
लखनऊ, जेएनएन। प्रकृति सर्वोपरि है। हमें प्रकृति के विज्ञान को समझने की जरूरत है। कोरोना काल का जिस प्रकार से डटकर हमारे देश ने सामना किया उससे निश्चित तौर पर इस बात के संकेत मिले हैं कि हम कुछ इतिहास रचने जा रहा हैं। कोरोना काल में हमने तमाम कष्ट सहे, मगर इस बात को हमेशा स्मरण रखना होगा कि सुविधाओं से नहीं, कष्टों से सीखा जाता है। कोरोना काल के कष्ट ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। हमें अपने दायित्वों का गंभीरता से निर्वहन करना होगा। पिछले एक दशक में हमारे देश ने विश्व में एक अलग पहचान बनाई है। हम आत्मनिर्भर होकर ही सम्मान हासिल कर सकते हैं। हमारा देश साढ़े छह लाख गांव वाला है, इसीलिए हम लोगों को ग्रामोंन्मुख होना होगा। हमारे गांव ही हमारे देश के पांव हैं। यह कहना था पर्यावरणविद् पद्मश्री एवं पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित अनिल प्रकाश जोशी का।
शनिवार को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) का 18 वां दीक्षा समारोह सुबह 11:45 पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ। विवि परिसर स्थित अटल विहारी वाजपेई बहुउद्देशीय सभागार में हुए दीक्षा समारोह की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने अध्यक्षता की। इस अवसर पर पर्यावरणविद् पद्मश्री एवं पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित अनिल प्रकाश जोशी को डीएससी की मानद उपाधि प्रदान की गई। अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हमारे गांव ही हमारे पांव है। उन्होंने कहा कि विज्ञान पश्चिमी ही नहीं, पूरब के विज्ञान की भी पकड़ हमेशा से मजबूत रही है। हमारी प्रकृति ही सबसे बड़ी संपदा है, दुनिया में अगर कहीं प्रकृति को पूजा जाता है तो वह हमारे देश में।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हुई जीत पर हो शोध
इस मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कई लोगों ने कहा था कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी वैसे-वैसे कोरोना बढ़ेगा। मगर उसका ठीक उल्टा हुआ। यह हमारी बड़ी उपलब्धि है, इस पर हमें शोध करना होगा, ताकि भविष्य में यदि कोई ऐसी बीमारी है, तो हम उसको पढ़ कर उसका सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जागरूक करने, उनमें आत्मशक्ति बढ़ाने, आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने, शिक्षा बढ़ाने के मकसद से स्वयं सहायता समूह शुरू किया है। एक एक ब्लॉक में अशिक्षित महिलाओं की ओर से शुरू किए गए काम काज का टर्न ओवर तीन तीन करोड़ है। उन्होंने कहाकि हमने कुलपति से बात की और राजभवन में सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ मुलाकात की। निर्धन परिवार की मदद के लिए प्रोत्साहित किया। मुझे आज खुशी है कि 26 निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने पांच पांच आंगनवाड़ी गोद लिया। 9 विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ डिग्री हासिल करने तक मतलब न रखें। समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे। लखनऊ में सिर्फ नारी जेल है, मुझे लगा कि यहां पर सिर्फ 50 से 60 महिलाएं होंगी। मगर जाने पर पता चला कि यहां पर 300 महिलाएं हैं। मैं उनसे व्यक्तिगत मिली, उन्होंने छुड़ाने के लिए कहा। छूटने में पांच साल बाकी है। पता चला किसी ने दहेज के लिए जला दिया तो किसी ने खेत के लिए मार दिया। क्रोध पर अंकुश लगाने की शिक्षा देनी चाहिए। हम किसी को उकसाये नहीं, इसकी भी शिक्षा देनी चाहिए।
पाठक जी, सभी बेटियों का कराइये हीमोग्लोबिन टेस्ट
संबोधन के दौरान कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मंच से कुलपति को कहा कि पाठक जी विवि के सभी बेटियों का हीमोग्लोबिन टेस्ट कराइये। ताकि यह जाना जाए कि कितनी बेटियां का हीमोग्लोबिन 13 से कम हैं। उन्होंने कुछ देर बाद फिर कहा पाठक जी विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार से वीडियो, किताबे उपलब्ध कराएं। बेटियों का केजीएमयू में विजिट कराइये। ताकि उन्हें समझ में आये की बच्चे किस तरह कमजोर पैदा हो रहे हैं।
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कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने कहा कि वर्ष 2020 में 1288 रिसर्च पेपर पब्लिश हुए। एकेटीयू में कोरोना के खिलाफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर बड़ी सफलता हासिल की गई है। हमने स्वच्छ कैंपस रैंकिंग में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पहला स्थान हासिल किया। करीब दो हज़ार युवाओं को बेहतर केंपस प्लेसमेंट मिला। समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी को दूर किया जा रहा है। प्रदेश सरकार तकनीकी शिक्षा से जुड़े छात्र छात्राओं के कौशल विकास के लिए उनके संस्थान में इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने के प्रयास कर रही है। कोलैबोरेटिव लर्निंग आज की जरूरत बनती जा रही है, इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा वैश्विक स्तर पर शिक्षण संस्थानों से संबंध स्थापित किया जा रहा है। मैं इस बात से बेहद खुश हैं कि इस बार भी दीक्षा समारोह में हमारी बहनों ने अपना वर्चस्व कायम रखा है।