यूपी के 22 लाख कर्मचारी और शिक्षक नौ दिसंबर से बंद करेंगे काम, 27 नवंबर को जिला मुख्यालयों पर निकाला जाएगा मशाल जुलूस

यूपी में लंबित मांगों का निराकरण न होने से नाराज कर्मचारी शिक्षक मोर्चा ने नौ दिसंबर को काम बंद करने की चेतावनी दी है। मोर्चा पदाधिकारियों का दावा है कि प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी और शिक्षक काम न करके अपना विरोध जताएंगे।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 03:00 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 05:48 PM (IST)
यूपी के 22 लाख कर्मचारी और शिक्षक नौ दिसंबर से बंद करेंगे काम, 27 नवंबर को जिला मुख्यालयों पर निकाला जाएगा मशाल जुलूस
यूपी में नौ दिसंबर से शिक्षक और कर्मचारी काम ठप करेंगे।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लंबित मांगों का निराकरण न होने से नाराज कर्मचारी शिक्षक मोर्चा ने नौ दिसंबर को काम बंद करने की चेतावनी दी है। मोर्चा पदाधिकारियों का दावा है कि प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी और शिक्षक काम न करके अपना विरोध जताएंगे। इससे पूर्व 26 नवंबर तक ब्लॉक, तहसील, पीएचसी और सीएचसी में जनजागरण कर जनता को अपनी परेशानी बताई जाएगी। 27 नवंबर को सभी जिला मुख्यालय पर मशाल जुलूस निकाला जाएगा और जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा जाएगा।

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि मोर्चा की तरफ से मांगों पर निर्णय करने के लिए निरंतर सरकार को पत्र भेजा जा रहा है। बीस सितंबर से तीस सितंबर तक सभी मंत्रियों, विधानसभा सदस्यों, विधान परिषद सदस्यों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांगों को पूरा करने का अनुरोध किया गया था लेकिन सरकार ने मांगों को मानना तो दूर मोर्चा पदाधिकारियों से वार्ता तक नहीं की। प्रदेश सरकार की उपेक्षा के कारण प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी शिक्षक आक्रोशित हैं। मोर्चा की मांग है कि सरकार महत्वपूर्ण मांगों पर बातचीत के माध्यम से सार्थक निर्णय करे, वरना शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव रोक पाना संभव नहीं है। मोर्चा नेताओं का कहना है कि जब सरकार आर्थिक संकट में थी तो कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन दिया था और भीषण महंगाई से कर्मचारी परिवार संकट में है तो फ्रीज डीए का बकाया एरियर भी नहीं दे रही है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि कर्मचारियों के रोके गए धनराशि को ब्याज के साथ कर्मचारियों को वापस किया जाए। सरकार वेतन समिति के निर्णय को तीन वर्ष से रोके हुए हैं, जिससे सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय निकायों, राजकीय निगमों, विकास प्राधिकरण, स्वायत्तशासी संस्थाओं के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को समानता नहीं मिल रही है। सेवा नियमावली सिंचाई, वाणिज्य कर एवं अन्य विभागों की लंबित हैं।

पुरानी पेंशन की बहाली भी केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार नहीं कर रही है, जिससे भी असंतोष है।

मोर्चा पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि मांगों पर स्वयं बैठक कर आंदोलन से पूर्व निर्णय करा दें, जिससे कि शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव की स्थिति न बने।

इन मांगों को लेकर आंदोलन

सातवें वेतन आयोग के संस्तुतियों के उपरांत की वेतन विसंगतियां को दूर कर वेतन समिति की रिपोर्ट को प्रकाशित करे और उसके पूर्ण लाभ राज्य कर्मचारी स्थानीय निकाय, सार्वजनिक निगम, परिवहन निगम प्राधिकरण, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर एवं स्वयं सेवी संस्थाओं आदि के कर्मचारियों पर सामान्य रूप से लागू किया जाए। प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारियों को समय से वेतन, भत्ते, पेंशन आदि दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।

प्रदेश सरकार द्वारा एक जनवरी 2020 से 31 जुलाई 2021 तक फ्रीज महंगाई भत्ते का एरियर भी अनुमन्य किया जाय एवं परिवार नियोजन, सी सीए सहित बंद किये गए अन्य समस्त भुगतान बहाल किये जाए।

सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को गम्भीर रोग के इलाज हेतु कैशलेस इलाज की व्यवस्था संबंधित नियमावली का प्रख्यापन तत्काल किया जाए। आउटसोर्सिंग एवं संविदा आदि पर कार्यरत कर्मचारियों की सेवा सम्बन्धी सुरक्षा भविष्य में स्थायीकरण की नीति तथा समान कार्य का समान वेतन, श्रम मंत्रालय द्वारा अनुमन्य पारिश्रमिक दिये जाने तथा ईपीएफ एवं ईएस आई, बीमा आदि की सुविधायें अनिवार्य रूप से प्रदान की जाए।

प्रदेश के स्थानीय निकाय व विकास प्राधिकरण कर्मचारियों को राज्य कर्मचारियों की भांति सभी सुविधाएं देते हुए वेतन ढांचा निर्धारित किया जाय तथा लिपिक, राजस्व, कम्प्यूटर, चालक आदि संवर्गों का पुनर्गठन, उच्चीकरण एवं अकेंद्रीयत सेवानियमावली, भत्ते, पदनाम देते हुए सफाई व अन्य संवर्गों में कार्यरत दैनिक वेतन, संविदा (31 दिसम्बर 2001 तक कार्यरत कर्मचारियों) धारा-108, एवजदार आदि कर्मचारियों का समयबद्ध विनियमितीकरण किया जाए।

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