UP में बिजली दरें घोषित करने की तैयारी शुरू, 17 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी सुनवाई
उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में दाखिल की आपत्तियां व सुझाव। आयोग से बिजली दरें 25 फीसद घटाने का अनुरोध किया परिषद ने। आयोग द्वारा बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी से बढ़ सकता है बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं का बिजली खर्च।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से बिजली दरें जल्द घोषित करने के लिए आए पत्र के बाद उत्तर प्रदेश में कोरोना काल में ही बिजली दरें घोषित करने की तैयारी शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग 17 मई को बिजली दरों की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करने जा रहा है। इस बीच गुरुवार को उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद् ने बिजली दर पर अपनी आपत्तियां और सुझाव आयोग में दाखिल किए हैं। परिषद ने मौजूदा बिजली दरों को 25 फीसद घटाने का आयोग से अनुरोध किया है। हालांकि, आयोग द्वारा बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दिए जाने पर बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ सकता है।
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग में दाखिल अपनी विधिक आपत्तियों में बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे लगभग 19537 करोड़ के एवज में एक मुश्त 25 प्रतिशत या फिर तीन वर्षो तक लगातार आठ फीसद बिजली दरों में कमी का मुद्दा उठाया। सबसे बडा चौंकाने वाला मामला यह है कि आयोग ने वर्ष 2020-21 में जिस स्लैब परिवर्तन को खारिज कर दिया गया था उसे फिर से वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का हिस्सा बनाया गया है।
वर्मा का कहना है कि आयोग ने बिजनेस प्लान में जब वर्ष 2021-22 के लिए वितरण हानियां 11.08 प्रतिशत अनुमोदित कर दी थी फिर एआरआर में उसे बढ़ाकर 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित करना आयोग के आदेश का खुला उल्लंघन व अवमानना है। परिषद अध्यक्ष का कहना है कि यूपी ऐसा राज्य है जहां पिछले तीन वर्षों से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। इसका मुख्य कारण बिजली दरों में व्यापक बढ़ोतरी है। वर्ष 2017-18 में जहां प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 628 थी वहीं वह वर्ष 2018-19 में घटकर 606 रह गई। वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 629 है जो अन्य कई राज्यों से कम है।